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Akshay Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर भूलकर भी न करें ये 7 काम, इन अशुभ चीजों की खरीदारी से बचें; नहीं तो रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी

30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर भूल से भी न खरीदें काले रंग की चीजें और नुकीले सामान, वरना धन की देवी लक्ष्मी छोड़ सकती हैं आपका साथ

Ravi Rohan
  • Apr 25 2025 5:47PM

30 अप्रैल 2025, बुधवार को अक्षय तृतीया का पावन पर्व है। वह दिन, जब मां लक्ष्मी स्वयं धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने प्रिय भक्तों पर अपार धन-संपत्ति और समृद्धि का वरदान देती हैं। इस शुभ तिथि को "अबूझ मुहूर्त" भी कहा जाता है यानी किसी भी कार्य के लिए विशेष मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन ध्यान रहे! इस दिन कुछ गलतियां आपको मां लक्ष्मी की कृपा से वंचित कर सकती हैं।

इन चीजों की खरीदारी से करें परहेज, वरना आ सकती है धन की बर्बादी

एलुमिनियम, स्टील और प्लास्टिक के बर्तन- शास्त्रों में इन धातुओं को राहु से संबंधित माना गया है, जो दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा का वाहक होता है। इसलिए इनकी खरीदारी अक्षय तृतीया पर वर्जित है। मां लक्ष्मी को प्रिय धातु है—सोना और चांदी, इन्हीं का स्वागत करें।

काले रंग की वस्तुएं- कालिमा को तामसिक प्रवृत्ति का प्रतीक माना गया है। इसलिए काले वस्त्र, पर्दे, जूते या वाहन इस दिन बिल्कुल न लें। यह मां लक्ष्मी को अप्रिय है।

धारदार वस्तुएं जैसे छुरी, चाकू, कैंची- ये वस्तुएं परिवार में विवाद और विघटन का कारण बन सकती हैं। सुख-शांति के पर्व पर इन्हें खरीदना अशुभ माना गया है।

कांटेदार पौधे- कैक्टस या कांटेदार सजावटी पौधों को घर लाना कलह और मानसिक तनाव को आमंत्रित करने जैसा है। इस पावन दिन इनसे दूर ही रहें।शुद्धता से जुड़ी सावधानियां – लक्ष्मी का स्वागत करें आदरपूर्वक

घर की गंदगी – मां लक्ष्मी स्वच्छता की प्रतीक हैं। यदि घर गंदा हो, विशेष रूप से मुख्य द्वार, पूजा स्थल या तिजोरी के आसपास, तो देवी रुष्ट हो सकती हैं। ऐसा होने पर दरिद्रता घर में प्रवेश कर सकती है।

किसी को पैसे उधार न दें – इस दिन धन का आगमन होना चाहिए, न कि व्यय। उधार देने से घर की लक्ष्मी बाहर जा सकती है। जब तक बहुत जरूरी न हो, इस दिन लेन-देन से बचें।

अपवित्र आचरण से दूर रहें – जुआ, झूठ, नशा, मांसाहार और कलह इस दिन वर्जित हैं। ये कर्म न केवल पापदायी होते हैं, बल्कि मां लक्ष्मी की कृपा को दूर कर देते हैं।

अक्षय तृतीया सिर्फ खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और सद्कर्मों का पर्व है। जो इस दिन शुभता और शुचिता के साथ व्रत, पूजा और दान करता है, उसके घर लक्ष्मी स्वयं वास करती हैं।


 

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