उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महमूदाबाद में हिंदू समाज के एक दलित युवक को निशाना बनाकर मजहबी गुंडों ने न सिर्फ बेरहमी से पीटा, बल्कि उसकी बाइक भी तोड़ दी। यह पूरा घटनाक्रम उस समय हुआ जब पीड़ित राजबहादुर नामक युवक अपनी बाइक से घर लौट रहा था और रास्ते में एक बस से मामूली टक्कर हो गई। घटना गुरुवार (24 अप्रैल 2025) की है।
मामला सुलझाने की बजाय सामने वाले पक्ष के लोगों- जिनमें शामिल थे अमीर हसन, रसूल और समीर, ने न सिर्फ सड़क पर ही अपनी जिहादी सोच का प्रदर्शन किया, बल्कि राजबहादुर पर टूट पड़े। आरोप है कि उसे जातिसूचक गालियां दी गईं, लात-घूंसे बरसाए गए और उसकी बाइक तोड़ दी गई।
जिस तरह से एक दलित युवक को घेरकर मारा गया, उसे गालियां दी गईं और डराने-धमकाने की कोशिश की गई- यह कोई सामान्य सड़क विवाद नहीं लगता। सवाल ये उठता है कि क्या यह घटना पहले से प्लान की गई थी? क्या किसी खास मजहबी मंसूबे के तहत हिंदू युवक को निशाना बनाया गया?
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। शुक्र है कि उसकी जान बच गई। पुलिस ने राजबहादुर की बहन जूली की तहरीर पर तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों- अमीर हसन, रसूल और समीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। एक अन्य आरोपी की तलाश अभी जारी है।
कब तक हिंदू सहता रहेगा मजहबी गुंडागर्दी?
क्या देश के दलित अब भी सिर्फ वोट बैंक हैं? क्या कोई 'सेक्युलर' जमात इस पर आवाज़ उठाएगी? जब कोई हिंदू या दलित पीड़ित होता है, तो तमाम 'अवॉर्ड वापसी गैंग' और 'मानवाधिकार जमात' क्यों खामोश हो जाती है?