उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में लैंड जिहाद का मामला सामने आया है। फाजिलनगर कस्बे में एक ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर पर अवैध मजार के निर्माण ने प्रशासनिक व्यवस्था और धरोहर संरक्षण पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित घोषित की गई इस जगह पर, जहाँ 6वीं सदी के बुद्धकालीन अवशेष पाए गए थे, अब यहां एक पक्की मजार बना दी गई है। पहले यह एक साधारण लकड़ी के घेरे में थी, लेकिन बाद में इस स्थान पर पक्का निर्माण कर मजार और कब्रिस्तान खड़ा कर दिया गया।
करीब 15 साल पहले ASI ने इस ऐतिहासिक टीले को अवैध कब्जे से बचाने के लिए चारदीवारी बनाई थी और सुरक्षा गार्डों की तैनाती भी की थी। इसके बाद यहां आने-जाने वालों की संख्या में कुछ कमी आई, मगर मजार के सेवक अब्दुल रसीद और सरफराज शाह वारसी का कहना है कि यह "हज़रत शहीद बाबा" की दरगाह है और श्रद्धालु यहाँ मन्नतें मांगने आते हैं।
स्थानीय निवासियों ने दावा किया है कि मजार का ऐतिहासिक अस्तित्व का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। दस्तावेजों और ASI के रिकॉर्ड के अनुसार यह इलाका पूरी तरह संरक्षित है, जहां किसी भी तरह का नया निर्माण अवैध माना जाएगा। इसके बावजूद यहां मजार और कब्रिस्तान का निर्माण हुआ है, जिससे विवाद गहराता जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि कुशीनगर जिले में कई अन्य स्थानों पर भी सरकारी जमीनों पर अवैध मस्जिदें, मदरसे और ईदगाहें बनी हैं। फाजिलनगर की यह मजार अब प्रशासनिक कार्रवाई की कसौटी बन गई है। लोगों का सवाल है कि संरक्षित भूमि पर अवैध निर्माण आखिर किसकी शह पर हुआ और अब तक इसे हटाने में देरी क्यों की जा रही है।