अक्षय तृतीया, जिसे जैन और हिंदू दोनों धर्मों में अत्यंत पवित्र माना जाता है, हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। 'अक्षय' का अर्थ है - जो कभी क्षीण न हो और 'तृतीया' का आशय है - तीसरा दिन। इस बार अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन को ऐसा शुभ दिन माना जाता है जब सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इसे 'युगादि तिथि' भी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मोत्सव के रूप में भी प्रसिद्ध है।
पौराणिक कथाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत का लेखन कार्य इसी दिन से वेदव्यास जी ने प्रारंभ किया था और भगवान गणेश ने इसे लिखा था। इसी दिन भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जो कभी खाली नहीं होता था। साथ ही, यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव और ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से कुबेर को स्वर्ग का कोषाध्यक्ष बनाया गया था।
अक्षय तृतीया तिथि और शुभ समय
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया का शुभारंभ 29 अप्रैल को शाम 5:32 बजे से होगा और 30 अप्रैल को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार पर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीया पूजा विधि
1.सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, पवित्र नदी में स्नान करना श्रेष्ठ होता है।
2. स्नान के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।
3. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल या पीले कपड़े पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमाएँ स्थापित करें।
4. व्रत का संकल्प लें और प्रतिमाओं को रोली, चंदन, हल्दी, कुमकुम से तिलक करें।
5. भगवान विष्णु को पीले फूल और मां लक्ष्मी को गुलाबी या कमल के पुष्प अर्पित करें।
6. नैवेद्य में जौ, गेहूं का सत्तू, आम, खीरा, चने, मिठाइयाँ अर्पित करें।
7. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और व्रत कथा का श्रवण करें।
8. अंत में तुलसी जल अर्पित करें और अन्न, वस्त्र, सोना-चांदी का दान करें।
अक्षय तृतीया पर मंत्र जाप
पूजन के समय इन मंत्रों का उच्चारण अत्यंत फलदायी माना गया है:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः”
“ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः”
भगवान विष्णु के लिए: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
इन मंत्रों के जाप से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन-धान्य एवं समृद्धि बनी रहती है।
अक्षय तृतीया का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया को 'अबूझ मुहूर्त' कहा जाता है, अर्थात इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय आरंभ करना, भूमि खरीदना आदि कार्य इस दिन अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
विशेषतः इस दिन किया गया दान अक्षय फल प्रदान करता है। अन्न, वस्त्र, जल, फल, स्वर्ण जैसे दान अत्यधिक पुण्यकारी माने गए हैं। पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म का भी इस दिन विशेष महत्व है। साथ ही सोना खरीदना इस दिन भविष्य की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।