दरसल यह पूरा मामला जनपद मुजफ्फरनगर के मत्स्य विभाग से जुड़ा है जहा एक संस्था को 30 लाख रु की रिकवरी का नोटिस एसडीएम सदर के द्वारा जारी किया गया है, कुछ वर्षो पूर्व कुछ लोगो के द्वारा सुनियोजित तरीके से एक सहकारी मत्स्यजीवी संस्था बनाई जाती है उसके बाद इस संस्था के माध्यम से मत्स्य विभाग से सेटिंग कर मछली पालन के लिए जनपद मुजफ्फरनगर में कई तालाबों के पट्टे आवंटित करा लिए जाते है। और तालाबों पर मछली पालन का व्यापार शुरू किया जाता है यह कार्यक्रम लगातार पिछले कई वर्षों से लगातार जारी है प्रतिवर्ष इन तालाबों पर लाखों रुपए का व्यापार किया जा रहा है लेकिन संस्था के द्वारा पिछले कई वर्षों से लगान शुल्क तक जमा नहीं किया गया है जो लगभग 35 लाख रुपए से अधिक बताया जा रहा है संस्था के कर्मचारियों की विभाग के अंदर सेटिंग इस कदर है कि कभी भी संस्था को लगान शुल्क जमा करने का नोटिस तक जारी नही किया गया, और लगातार तालाबों पर मछली पालन का अवैध कारोबार जारी है
जानकारी के लिए बता दें वर्षों पूर्व एक संस्था बनाई जाती है जिसमें 62 लोगों को संस्था का सदस्य व पदाधिकारी बनाया जाता है खास बात यह है कि इस संस्था में मुसलमानों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को संस्था का सदस्य तक नहीं बनाया जाता है। संस्था में अधिकांश सदस्य अनपढ़ बताए जा रहे हैं 62 सदस्यों की वाली इस संस्था में अब 28 लोग ही जीवित बचे हैं। जिसमें से अधिकांश को संस्था व उसके बाइलॉज के बारे में जानकारी तक नहीं है पूरी संस्था की गतिविधि केवल 2 से 3 लोगों के इर्द-गिर्द ही चल रही है। पिछले कई वर्षों से संस्था के द्वारा सरकारी तालाब पर मछली पालन का अवैध कारोबार लगातार जारी है लेकिन सरकारी कोष में लगान शुल्क के नाम पर कुछ भी जमा नहीं किया गया है जो अब बढ़कर लगभग 35 लाख से अधिक हो चुका है।
सुदर्शन न्यूज़ पर खबर दिखाने के बाद मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन हरकत में आया और संस्था को 30 लाख रु का नोटिस थमाया गया है पूरे प्रकरण की जांच एसडीम सदर के द्वारा बनाई गई कमेटी के द्वारा की जा रही है जिसमें कुछ तालाबों में तैयार माल को जप्त करने व संस्था के बैंक खाते को सील करने के साथ साथ ब्लैकलिस्ट करने तैयारी की जा रही है। संस्था के ऊपर 30 लाख रु की रिकवरी का नोटिस संस्था के सदस्यों पता चलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। संस्था के सदस्यों के द्वारा बताया गया कि कदीर नामक व्यक्ति के द्वारा लगान शुल्क उनसे लिया जा रहा है लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं किया गया है। जिसके बाद अब राजस्व की वसूली के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई की भी मांग उठने लगी है संस्था के सदस्यों ने चरथावल थाने में कबीर के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।