श्रमिकों और कामगारों के लिए कोरोना आपदा में उत्तर प्रदेश सबसे सुरक्षित स्थान बन गया है। यूपी अकेला ऐसा प्रदेश है जहां से अबतक अप्रवासी मजदूरों ने पलायन नही किया है। वही दूसरी तरफ अब तक 10 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर वापस अपने घर उत्तर प्रदेश आ चुके है। कोरोना संक्रमण काल मे यूपी के गरीब मजदूरों और कामगारों को मदद पहुचाँने की जो व्यवस्था सीम योगी आदित्यनाथ ने शुरू की उसका सीधा फायदा लोगो को मिला और परिणामस्वरूप अप्रवासियों ने यूपी को नही छोड़ा। दरसल सबसे बड़ी आबादी के बावजूद योगी सरकार लगातार सबके लिए भोजन, रोजगार, भरण पोषण और सुरक्षा का इंतजाम कर रही है। लाकडाउन के दौरान भी यूपी की बंद पड़ी औद्योगिक इकाईयों से योगी सरकार ने हर कर्मचारी को भुगतान कराया। यूपी की औद्योगिक इकाइयों ने लॉक डाउन के दौरान रिकॉर्ड 1592 करोड़ रुपए वेतन और मानदेय के मद में बांटे है। योगी सरकार की कोशिशों से लॉक डाउन-1 के दौरान भी यूपी में 119 चीनी मिलें मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन करते हुए काम करती रही। वही दूसरी तरफ 12000 र्ईंट भट्ठे और 2500 कोल्ड स्टोरेज भी लगातार चलते रहे। जिसके माध्यम से लॉक डाउन के सबसे कठिन दौर में भी लोगो को रोजगार मिलता रहा।
लाक डाउन-2 में योगी सरकार ने बड़ी औद्योगिक इकाईयों को चलाने के निर्देश दिए जिनमें 2 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। लाकडाउन सेकेंड में ही एमएसएमई इंडस्ट्री ने 16 लाख से ज्यादा लोगो को रोजगार दिया। रोजगार देने का क्रम लॉक डाउन 3 में भी जारी रहा।
ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे 23 लाख से ज्यादा मनरेगा श्रमिको को भी यूपी सरकार ने रोजगार देकर उनकी रोजी-रोटी बन्द नही होने दी। योगी सरकार अब तक 31.70 लाख निराश्रित एवं निर्माण श्रमिकों को 1000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता और मुफ्त खाद्यान्न भी मुहैया करा चुकी है। लॉक डाउन के इस दौर में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी मानवतावादी छवि को और निखारा है और यह काफी हद तक यह साबित करने में सफल रहे है कि आखिर क्यों वो अन्य मुख्यमंत्रियों से अलग है।