उत्तरप्रदेश में एकतरफा जीत से अजय सिंह बिष्ट यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इतिहास लिख दिया है।
UP में लगातार 5 वर्ष के शासन के बाद अब पुनः योगी अगले 5 वर्ष के लिए मुख्यमंत्री बन गए हैं।
पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में योगी के रुप में उत्तरप्रदेश ही नहीं देश को भाजपा ने एक नया और बिल्कुल स्पष्टवादी नेता दिया। ऐसा नेता, जो अपनी धार्मिक भावना के साथ चलते हुए सबका साथ-सबका विकास का मूलमंत्र लेकर देश के सबसे बड़े राज्य का CM बनता है और देश के राष्ट्रवादियों के दिल में राज भी करना जानता है। शाम तक इस लेख को लिखे जाने तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1,02,399 मतों के बड़े अंतर से चुनाव जीत चुके हैं। वहीं उनकी पार्टी को 270 से ज्यादा सीटों पर नतीजतन जीत दिलाती बढ़त मिलती दिख रही है।
2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के समय जब योगी आदित्यनाथ रायपुर आए थे। तब एयरपोर्ट पर उनसे थोड़ी बातचीत हुई थी। एक सात्विक व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में रहकर भी कैसे सात्विकता बरकरार रखता है, ये उस समय और व्यक्तिगत रुप से अनेक लोगों ने और मैंने भी अपने रिसर्च में पाया है।
इन बीते 5 वर्षों में वोट के नाम पर राजनीति करने वाले तमाम राजनेताओं और वामपंथियों ने योगी आदित्यनाथ की छवि को एक विशेष वर्ग का सपोर्ट और विशेष वर्ग का विरोध करने वाला बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। नोएडा में विभिन्न मीडिया संस्थानों में कार्य करने वाले कई 'पत्रकार' पूरी तरह UP में बिलकुल कैंपेन बनाकर डंटे रहे और इस दौरान अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से योगी की एक अलग छवि बनाने में इन्होंने 'अपने काम' में पूरी इमानदारी दिखाई। पर उत्तरप्रदेश की जनता ने अपने बाबा पर ही मुहर लगा दिया।
इन 5 सालों में जहां UP में बाहुबलियों के प्रति UP सरकार यानी योगी के एक्शन मॉडल की खूब चर्चा देशभर में रही, वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण संबंधित प्रक्रियाओं और सरकार के स्टेप के निर्णय ने देश ही नहीं दुनियाभर के सनातनियों का ध्यान खींचा और योगी आदित्यनाथ ने सराहना बटोरी। कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ की छवि को उत्तरप्रदेश की जनता ने वृहद स्तर पर स्नेह दिया और ये कहा कि समय की मांग योगी मॉडल ही हैं...उन्हें का बा? का जवाब बीते 5 वर्षों में मिला है, जिसका सकारात्मक जवाब फिर UP को BJP की झोली में डालकर UP की 25 करोड़ जनता ने दे दिया है।
संन्यासी योगी आदित्यनाथ गणित में स्नातक हैं और देश के सबसे बड़े राज्य की राजनीतिक गणित को बेहतर समझते भी हैं, तभी तो इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में BJP के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पूरी तरह से प्रत्याशी चयन की बागडोर केवल योगी आदित्यनाथ को ही दे दी थी। योगी आदित्यनाथ ने राज्य की 403 सीटों में अपने पसंद और अपनी टीम की छविनुरुप चेहरों को प्रत्याशी बनाया। यानी जैसी योगी की छवि है, योगी ने उसी पर चलते हुए प्रत्याशी भी अपनी तरह के ही लोगों को बनाया।
22 साल की उम्र में संन्यास धारण करने वाले योगी के साथ देश ही नहीं, दुनिया भर के सनातनियों का खुला समर्थन था। विपक्ष में रहने वाले राष्ट्रवादियों ने दूसरे राज्य के निवासी और दूसरी पार्टी में रहने के बावजूद चुनाव के परिणाम आते तक बस यही कहा -'बाकी जगह कोई भी आए, बस यूपी में योगी आने ही चाहिए।'
दरअसल ये विश्वास है योगी की कार्यशैली पर...उनके स्टाइल पर...उनकी स्पष्टवादिता पर...उनकी नियत पर...उनके विजन पर...उनकी छवि पर...उनके एक्शन पर।
मठ के महाराज और बाबा समय के साथ बुलडोजर बाबा कहलाने लगे। चुनाव प्रचार और योगी के सम्मेलनों में अनेक जगह समर्थकों ने बुलडोजर खड़ा कर दिया। UP के महराजगंज में तो CM योगी की जनसभा में बुलडोजर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया था। गेरुआ रंग के बुलडोजर पर भीड़ की निगाहें टिक गईं। वैसे भी योगी सदा भगवा रंग के वस्त्र में ही दिखे हैं, ऐसे में जब योगी मंच पर पहुंचे, तो उन्होंने भी बुलडोजर का जिक्र छेड़ दिया था। इस जनसभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा था-'बुलडोजर हाइवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है...साथ ही माफियाओं से अवैध कब्जे को भी मुक्त कराता है।'
आंकड़े बताते हैं कि बीते 5 सालों में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्रा, कुंटू सिंह जैसे तमाम माफियाओं की लगभग दो हजार करोड़ की अवैध संपत्ति पर कब्जे हटा दिए गए, बिल्डिंग गिरा दी गई, यानी बुलडोजर चला।
योगी की इसी स्पष्टवादिता के कायल हैं उनके समर्थक। PM मोदी ने योगी को उपयोगी का तमगा दिया था। तब से अब तक ये सवाल लगातार यक्षप्रश्न के रुप में था कि क्या 'योगी आयेंगे?'
इस प्रश्न को जवाब मिला, 10 मार्च को। जब देश के सबसे बड़े राज्य के मुखिया के रुप में फिर से योगी आदित्यनाथ के हाथ में राज्य की जनता ने विश्वास की चाभी सौंपी है।
क्या UP में परंपरा के अनुरुप दूसरी पार्टी की सरकार आयेगी? क्या लड़की हूं, लड़ सकती हूं, का कांग्रेस का नारा BJP को नुकसान पहुंचाएगा या कांग्रेस को फायदा देगा? क्या लखीमपुर खीरी की घटना के कारण BJP के प्रति लोगों की नाराजगी दिखेगी? क्या अखिलेश को सत्ता मिलेगी? इन सारे सवालों का जवाब जनता ने दे दिया है। और कह दिया है कि विश्वास तो बाबा यानी योगी आदित्यनाथ पर ही है और इसी विश्वास से अब BJP को राष्ट्रीय स्तर पर एक नया राष्ट्रवादी विकल्प तैयार मिलना पुष्ट हो गया है। अब जनता नाम बदलने, बुलडोजर चलने, एक्शन होने के इंतजार में फिर से रहेगी...फिर से UP में पांच साल हम सभी योगी मॉडल को देखेंगे...और इस जीत के मायने 2024 की लोकसभा में आते भी देख पाएंगे।
फिलहाल लखनऊ, दिल्ली ही नहीं रायपुर के भाजपा मुख्यालय में 'ढोल ताशे, रंग गुलाल' के साथ उत्साह चरम पर है। और कांग्रेस के नेताओं ने इसे जनादेश मानकर अपनी हार स्वीकार कर ली है।
योगी आदित्यनाथ को शुभकामनाएं।"