देश में जातिगत जनगणना कराने से केन्द्र सरकार की इंकार के बाद तेजस्वी यादव बौखला गए हैं। वह पूरे देश में सभी दलों को एकजुट करने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसी के तहत उन्होंने समाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना को लेकर 33 दलों के वरिष्ठ नेताओं को पत्र लिखा, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी और अख्तरुल ईमाम शामिल हैं। इससे यह संकेत मिल रहा है कि तेजस्वी JDU, HAM, VIP और AIMIM को एकजुट कर भाजपा को घेरने की फिराक में हैं और इस तरह की रणनीति से पूरे देश में भाजपा को घेरना चाहते हैं।
उन्होंने पहले भी जातिगत जनगणना को लेकर अपना बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि "अगर भाजपा जातिगत जनगणना कराने से मना करती है, तो इस आंदोलन को राष्ट्रीयस्तर तक ले जाया जाएगा"।
जातिगत जनगणना के सहारे वह बिहार में एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं। बिहार वोटबैंक के लिहाज से पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों का बहुसंख्यक राज्य है और जातिगत जनगणना के बहाने वह अपनी वोटबैंक को बिहार में बढ़ाने की कोशिश में हैं। जिसका फायदा उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। जातिगत जनगणना से प्रदेश के लोगों को आरक्षण की सीमा बढा़ई जा सकेगी, जिससे पिछड़ी-अतिपिछडी़ जातियों को सरकारी नौकरी में बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। इस तरह का तर्क देकर तेजस्वी बिहार के लोगों के बीच माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने देश के सभी दलों के नेताओं को भेजे गए पत्र में लिखा है, कि जातिगत जनगणना की मांग राष्ट्र उन्नति के लिये बहुत जरूरी है। जाति आधारित जनगणना न कराने के लिये सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्क नहीं है। केन्द्र ने इस प्रोपोजल को खारिज किया है, जो बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। जिसके खिलाफ हम सभी दलों का समर्थन चाहते हैं, क्योंकि सही आंकडा़ मिलने से ही उन लोगों की समस्याएं दूर होंगी और तभी उनका विकास हो पायेगा। अंत में तेजस्वी यादव ने कहा कि हम सभी दलों के नेताओं से पॉजिटिव रिस्पांस का इंतजार कर रहे हैं।