पशुधन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आने से सनसनी फैल गई है। इस मामले में योगी सरकार के पशुधन विकास राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालयकर्मी धीरज कुमार देव, आशीष राय, रूपक राय एके राजीव, उमाशंकर तिवारी को UPSTF ने गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में 13 लोगों के खिलाफ पहले ही FIR दर्ज कर दी गई है। 294 करोड़ के टेंडर दिलाने के इस पूरे फर्जीवाड़े में इंदौर के रहने वाले मंजीत भाटिया कैसे फंसे ये बात खुद मंजीत भाटिया ने बताई।
कैसे शुरू हुआ पूरा खेल -
मंजीत के मुताबिक अप्रैल 2018 में उनसे पास 2 लोग मिले, जिनमे से एक का नाम वैभव शुक्ला और दूसरे का नाम संतोष शर्मा था। बातचीत के दौरान ही गेहूं, शक्कर, आटा और दाल का एक सप्लाई आर्डर दिलाने की बात हुई। सप्लाई आर्डर जिनसे दिलाया जाएगा वह मंत्री जी(जयप्रकाश निषाद) के करीबी हैं। दोनों ने पशुपालन विभाग के उपनिदेशक ए. के.मित्तल का नाम लिया। सप्लाई आर्डर मिलने से पहले कमीशन के तौर पर 3% देने की बात हुई और काम मिलने के बाद होने वाले फायदे में 60% मंजीत का होगा और 40% काम दिलाने वालो का.. पूरा काम 292 करोड़ का होगा। जिसको पूरा करने के लिए एक साल का समय मिलेगा। मंजीत ने जब कहा कि 1 साल में यह काम सम्भव नही है तो दोनों ने समय बढ़वाने की जिम्मेदारी भी ली। सारी शर्तो के ऊपर बात होने के बाद मंजीत ने काम लेने के लिए अपनी कंपनी की प्रोफाइल और अन्य जरूरी कागज दे दिए। जिसके बाद टेंडर फॉर्म भरवाकर टोकन मनी मांगा गया।
टेंडर फॉर्म पर साइन करवाते ही मांगे पैसे -
संतोष एक टेंडर फॉर्म लेकर मंजीत के पास पहुँचा, जिसे पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किया गया था। सादे टेंडर फॉर्म पर मंजीत से साइन करवाये गए। जब मंजीत ने खाली टेंडर फॉर्म पर साइन करवाने को लेकर सवाल किया तो उसे बताया कि इस काम को लेकर कई टेंडर आये है इसलिए इसको रेट देखने के बाद तब उपनिदेशक खुद भरेंगे और एडवांस के तौर पर कुल काम 1% मांगा। मंजीत ने 3 मई को 50 लाख, 7 जुलाई को 50 लाख और 27 जुलाई को दो करोड़ रुपए वैभव के सुपुर्द कर दिए। जिसके बाद वैभव ने फोन पर बताया कि, टेंडर मिल गया, बकाया पैसा लेकर तुरंत लखनऊ आ जाइए। उपनिदेशक एके मित्तल और मंत्री जी से मिलवाना है जिसके बाद मंजीत 31 अगस्त को लखनऊ आये। लखनऊ पहुंचने के बाद उनको विधानसभा के अंदर ले जाया गया, अंदर जाने के लिए कोई पास नही बनवाया गया विधानसभा का कर्मचारी ही मंजीत को अपने साथ ले गया।
विधानसभा में फर्जी ए.के.मित्तल से मिलवाया -
सचिवालय के अंदर मंजीत को एक बड़े कमरे में बैठे एक व्यक्ति से मिलवाया जिसको एके मित्तल बताया गया। बातचीत के बाद वर्क आर्डर रिसीव करवाया और बकाया रुपए देने के लिए कहा। मंजीत ने टेंडर का समय कम होने की बात कही तो मैजूद व्यक्ति ने इसके बाद एके मित्तल के साथ ने कहा कि 'सब कुछ मेरे हाथ में है, थोड़ा बहुत जुर्माना करके मैं समय अवधि बढ़वा दूंगा' इसके बाद वो गाड़ी में बैठकर चले गए। जिसके बाद 5.5 करोड़ रुपए की व्यवस्था करके मंजीत ने वैभव को दिए। कुल 9 करोड़ 72 लाख रुपए रुपये दिए गए, लेकिन टेंडर ऑनलाइन शो नहीं हो रहा था। इसके बाद CBID में टेंडर प्रक्रिया के वैरिफिकेशन करवाने के लिए मंजीत को फिर लखनऊ बुलाया गया। मंजीत को एसपी लेवल के अफसर से मिलवाया गया। इसके बाद मंजीत को डांटते हुए टेंडर आर्डर पूरा करने को कहते हुए एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाकर जाने को कहा।
इंस्पेक्टर बोला 'चुप रहो, नही तो कर देंगे एनकाउंटर' -
मंजीत के मुताबिक आर्डर और सप्लाई के कागज दिलाने के लिए उसे 2 दिन आलमबाग के एक होटल में रूकाया गया लेकिन दो दिन ठहरने के बाद जब कोई आर्डर और सप्लाई के कागज न मिले तो उसने वैभव, सन्तोष से इसका कारण पूछा। जिसके बाद शाम करीब 6 बजे पुलिस की गाड़ी से कुछ लोग आए मंजीत को उठाकर नाका हिंडोला कोतवाली ले आये। वहां बैठे इंस्पेक्टर ने मंजीत से कहा कि अगर ज्यादा बोलोगे तो तुम्हारा एनकाउंटर कर देंगे। मेरी आईडी प्रूफ ले लिया और मुँह बन्द रखने को कहा। जिसके बाद मंजीत फ्लाइट से इंदौर चले गए। खोजबीन करने पर मंजीत को पता लगा कि जिस एके मित्तल नाम के व्यक्ति से उसे मिलाया गया वो व्यक्ति फ्रॉड आशीष राय था जिसके बाद मंजीत ने पूरे मामले की शिकायत की।
सीएम ने जताई कड़ी नाराज़गी -
मामला सामने आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले में कड़ा एक्शन लेने के निर्देश दिए साथ ही सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए भी कहा विभाग के मंत्री जयप्रकाश निषाद ने इस पूरे मामले में अनभिज्ञता जाहिर के लिए फिलहाल जयप्रकाश निषाद अपने गृह जनपद में रुके हुए हैं जहां पर उनके कमर की हड्डी का इलाज चल रहा है।