Bihar : घर वापसी करने वाले मजदूरों का रखा जाएगा पूरा ध्यान, बिहार में ही मिलेगा काम, 4 करोड़ 17 लाख से ज्यादा मानव दिवसों का सृजन किया जा चुका है
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सचिव सूचना एवं जन-सम्पर्क श्री अनुपम कुमार एवं सचिव स्वास्थ्य श्री लोकेश कुमार सिंह ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों के संबंध में अद्यतन जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन्स को यथावत लागू किया जाएगा। सचिव सूचना ने बताया कि बिहार में 15 जून तक ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर्स को फंक्शनल रखने का निर्णय लिया गया है। दिल्ली, महाराष्ट्र और दूसरे जगहों से बिहार आए लोगों के लिए इसे फंक्शनल रखने का निर्णय लिया गया है। बाहर से लोगों के आने का सिलसिला अभी भी जारी है। बाहर से आने वाले लोगां को दो सप्ताह के लिए ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर्स में आवासित कराया जाता है। यह अवधि 15 जून तक पूरी हो जायेगी। 15 जून के बाद ब्लॉक क्वारटांइन सेंटर की व्यवस्था समाप्त कर दी जायेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर जो डोर टू डोर स्क्रीनिंग कर गंभीर रूप् से संक्रमित लोगां को चिन्हित करने और उनका विशेष रूप से ध्यान रखने का निर्देश दिया है। सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने का भी निर्णय लिया है। इसके लिए सभी पंचायतों में लॉउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जायेगा। साथ ही अन्य प्रचार माध्यमों यथा होर्डिंग्स, रेडियो, टेलीविजन के जरिये भी सघन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि इस बीमारी से बचाव के लिए जो भी उपाय हैं, लोग उनका अनुपालन करें। सचिव सूचना एवं जन-संपर्क ने बताया कि अब आपदा राहत केन्द्रों की संख्या कम हो रही हैं क्यांकि ज्यादातर लोग अपने गंतव्य तक पहुँच चुके हैं। बिहार के विभिन्न शहरों में ठेला वेंडर, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक एवं अन्य जरूरतमंद लोगों के भोजन, आवासन एवं उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए वर्तमान में 64 आपदा राहत केंद्र फंक्शनल हैं, जिससे लगभग 11,500 लोग लाभान्वित हो रहे हैं। ब्लॉक क्वारटांइन सेंटर्स की संख्या अभी 12,291 हैं। इनमें अभी तक कुल 13 लाख 71 हजार 266 लोग आवासित हो चुके हैं। इनमें से 7 लाख 94 हजार 474 लोग क्वारंटाइन की निर्धारित अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं। वर्तमान में 5 लाख 76 हजार 792 लोग ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर्स में आवासित हैं। मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के अंतर्गत अब तक बिहार के बाहर फंसे 20 लाख 44 हजार 531 लोगों के खाते में 1,000 रूपये की राशि ट्रांसफर कर दी गयी है। अभी तक 1 करोड़ 41 लाख राशन कार्डधारियों के खाते में 1,000 रूपये की सहायता राशि दी जा चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका द्वारा और शहरी क्षेत्रों में NULM के द्वारा राशन कार्ड विहीन परिवारों का सर्वे कराया गया था जिसके आधार पर 21 लाख सुयोग्य परिवारां को भी 1,000 रूपये की सहायता राशि उपलब्ध करा दी गयी है। रोजगार सृजन पर सरकार का विशेष ध्यान है और सभी संबंधित विभाग निरंतर इसकी मॉनिटरिगं कर रहे हैं। लॉकडाउन पीरियड में अभी तक लगभग 4 लाख 36 हजार से अधिक संचालित योजनाओं के अंतर्गत 4 करोड़ 17 लाख से ज्यादा मानव दिवसों का सृजन किया जा चुका है।