प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में महादेव की पूजा के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। 2024 में प्रदोष व्रत कई बार आएगा, जिसमें 29 नवंबर 2024 को प्रदोष व्रत का पहला व्रत होगा। प्रदोष व्रत का महत्व इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति और जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा विधि सरल और विशेष ध्यान देने योग्य होती है। इस दिन व्रति उपवासी रहते हुए शिवजी की पूजा करते हैं।
स्नान और व्रत का संकल्प: प्रात:काल उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और फिर व्रत का संकल्प लें। इस दिन उपवासी रहने का संकल्प लें और एक जगह साफ करके वहां शिवलिंग या शिव जी की मूर्ति स्थापित करें।
शिव पूजा: प्रदोष व्रत में सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके लिए गंगाजल, दूध, शहद और बेल पत्र का उपयोग करें। फिर, उनके चरणों में दीपक, धूप और मिठाई चढ़ाएं।
सभी देवताओं का पूजन: भगवान शिव के साथ-साथ देवी पार्वती, भगवान गणेश, और भगवान कार्तिकेय का भी पूजन करें। इस दिन विशेष रूप से बेलपत्र और दुर्वा चढ़ाने का महत्व होता है।
मंत्रोच्चारण: "ॐ नम: शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करें और खुद भी उसे ग्रहण करें।
ध्यान और आरती: पूजा के बाद शिवजी की आरती करें और ध्यान लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
शुभ मुहूर्त
समय: प्रदोष व्रत का पूजन सूर्योदय से पूर्व 2 घण्टे और सूर्यास्त के समय 1 घण्टे तक किया जाता है, लेकिन इस दिन का विशेष पूजा समय सांयकाल 5:00 बजे से 6:00 बजे तक रहेगा। इस समय में व्रति को विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।