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Sea Vigil 2024: भारत ने समुद्री सुरक्षा को किया और मजबूत, तटीय सुरक्षा अभ्यास का हुआ सफल समापन

भारत के समुद्री सुरक्षा अभ्यास 'सी विगिल 24' का सफल समापन।

Ravi Rohan
  • Nov 22 2024 8:48PM
भारत के समग्र तटीय सुरक्षा अभ्यास 'सी विगिल 24' का चौथा संस्करण 21 नवम्बर 2024 को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया। पहले चरण का आयोजन 13 से 19 नवम्बर 2024 तक हुआ, जबकि दूसरे चरण का आयोजन 36 घंटे के समयावधि में किया गया।
 
यह अभ्यास भारत के सभी तटीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में संपन्न हुआ। सी विगिल 24 ने भारत के समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा तंत्र को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। 

सभी तटीय राज्यों में व्यापक सुरक्षा कवरेज 

सी विगिल 24 ने भारत के 11,098 किमी लंबे तटीय क्षेत्र और इसके 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशेष आर्थिक क्षेत्र में सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय तट रक्षक, राज्य समुद्री पुलिस, कस्टम्स, बीएसएफ, सीआईएसएफ, बंदरगाह प्राधिकरण, मछली पालन विभाग सहित कुल 21 से अधिक एजेंसियों ने भाग लिया। 

फेस II का व्यापक सैन्य अभ्यास

सी विगिल 24 के दूसरे चरण के दो दिनों में 550 से अधिक समुद्री सुरक्षा संपत्तियों और 60 वायु मिशनों का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 200 घंटे की उड़ान अवधि का समावेश था। यह चरण देश की पूरी तटीय सीमा पर सुरक्षा का आकलन करने के लिए आयोजित किया गया।

तटीय सुरक्षा और सुरक्षा तत्परता का मूल्यांकन

इस अभ्यास के प्रारंभिक सात दिनों में 'कोस्टल डिफेंस एंड सिक्योरिटी रेडीनेस इवैल्यूएशन' (सीडीएसआरई) आयोजित किया गया। इस दौरान 950 से अधिक तटीय स्थानों की समग्र समीक्षा की गई, जिसमें मछली पकड़ने के लैंडिंग केंद्र, लाइटहाउस, प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाह, तटीय पुलिस स्टेशन, और तटीय सुरक्षा को लेकर अन्य आवश्यक संसाधनों की जांच की गई। इस वर्ष यह पहली बार हुआ कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के अधिकारियों ने गुजरात और पश्चिम बंगाल में सीडीएसआरई गतिविधियों में भाग लिया।

सी विगिल 24 का उद्देश्य और ध्यान

सी विगिल 24 का मुख्य उद्देश्य देश की तटीय रक्षा को सुदृढ़ करना था। इसमें समुद्री संपत्तियों जैसे तेल रिग्स, सिंगल प्वाइंट मूरिंग्स (एसपीएम), केबल लैंडिंग स्टेशनों, और तटीय परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। भारतीय वायु सेना ने समुद्र में स्थित प्लेटफार्मों पर एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए ताकि इन संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, मर्चेंट शिप की सुरक्षा के लिए एक सिमुलेटेड हाइजैकिंग, नौसेना सहयोग, शिपिंग मार्गों में बदलाव जैसी घटनाओं का आयोजन किया गया।

समुद्री सुरक्षा के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना

अभ्यास में समुद्री सुरक्षा के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विस्तृत आउटरीच कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों के छात्र, एनसीसी कैडेट्स, भारत स्काउट्स और गाइड्स, तथा अन्य समुदायों को शामिल किया गया। इसका उद्देश्य तटीय सुरक्षा को लेकर एक मजबूत सुरक्षा-संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना था।

एजेंसी समन्वय में मजबूती

सी विगिल 24 का एक प्रमुख घटक भारत की तटीय रक्षा प्रणाली में विभिन्न एजेंसियों के समन्वय का आकलन करना था। विभिन्न भागीदार एजेंसियों के बीच प्रभावी सहयोग ने समुद्री खतरों का मुकाबला करने के लिए उनकी तत्परता को उजागर किया।

सी विगिल का इतिहास और भविष्य

2018 में अपनी शुरुआत के बाद से सी विगिल ने भारत की तटीय रक्षा तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वास्तविक समय के परिदृश्यों का अनुकरण करके, यह अभ्यास भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को परखता है और तटीय रक्षा संरचना को मजबूत बनाने में सहायक होता है।

सी विगिल 24 का सफल समापन यह दर्शाता है कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। इसके साथ ही यह भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा में 'कुल समग्र जिम्मेदारी' निभाने की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। एजेंसी समन्वय, मजबूत तैयारी और समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ, यह अभ्यास तटीय रक्षा में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है।
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