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'2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करेगा एक राष्ट्र-एक चुनाव मॉडल': BJP नेता सुनील बंसल ने गिनाईं बड़ी आर्थिक और प्रशासनिक उपलब्धियां

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से हटेगा विकास का स्पीड ब्रेकर, 2047 तक भारत को बनाएगा विकसित राष्ट्र- भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री ने कार्यक्रम में दिया बड़ा बयान.

Ravi Rohan
  • Apr 14 2025 7:32PM

नई दिल्ली में आज यानी सोमवार को अखिल भारतीय पसमान्दा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक द्वारा आयोजित पसमान्दा मुस्लिम संवाद में  “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय म

हामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एक राष्ट्र- एक चुनाव बेहद ज़रूरी है। 
भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक राष्ट्र, एक चुनाव की वकालत इसलिये करती है की बार-बार चुनाव होने से देश की गति बाधित होती है एक राष्ट्र- एक चुनाव प्रणाली भारतीय लोकतंत्र के लिए हितकारी साबित होने के साथ-साथ भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए बेहद ज़रूरी है ।

भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री ने आगे कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन भारत के लिए स्पीड ब्रेकर हटाने जैसा है। उन्होंने कहा कि यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश, एक चुनाव) को समय की जरूरत बताते हुए कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश की विकास गति बाधित होती है और आर्थिक संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं, तो इससे राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी और प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी।

चुनावों पर खर्च और आर्थिक प्रभाव

बंसल ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में भारत में एक लोकसभा चुनाव पर करीब 1,35,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि पूरे चुनावी चक्र में यह राशि 4-5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हों, तो खर्च में भारी कटौती की जा सकती है। "एक वोट डालने पर सरकार 1400 रुपये खर्च करती है। जब हर साल कोई न कोई चुनाव होता है, तो यह खर्च कई गुना बढ़ जाता है। राजनीतिक पार्टियों के अपने चुनावी खर्चे अलग होते हैं, जिससे संसाधनों पर और भी अधिक दबाव पड़ता है। 

विकास की गति पर होता है असर

सुनील बंसल ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से सरकारों को हर छह महीने में यह साबित करना पड़ता है कि वे अस्तित्व में हैं। इससे नीति-निर्माण और विकास कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ता है। "मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री लगातार चुनावी अभियानों में व्यस्त रहते हैं, जिससे योजनाएं जमीनी स्तर तक सही ढंग से नहीं पहुंच पातीं। इस बार के लोकसभा चुनाव में 1 करोड़ से अधिक लोगों की ड्यूटी लगी और इसमें 3 महीने का समय खर्च हुआ। यह प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ी चुनौती बन गया है।

एक राष्ट्र, एक चुनाव से राजनीतिक स्थिरता

भाजपा नेता ने तर्क दिया कि यदि देश में एक साथ चुनाव होते हैं, तो सरकारें अपने पूरे कार्यकाल में ठोस नीतिगत फैसले ले सकेंगी। बार-बार चुनाव होने से कई बार कठोर निर्णय लेने की स्थिति नहीं बन पाती। "बार-बार चुनाव से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे कई बार व्यक्तिगत हमले और जातिगत राजनीति को बढ़ावा मिलता है। अगर चुनाव एक साथ होंगे, तो राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी और नीतिगत फैसले अधिक प्रभावी होंगे।"

भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर प्रभाव

बंसल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भ्रष्टाचार के कोई बड़े मामले सामने नहीं आए, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं। एक राष्ट्र- एक चुनाव से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता भी मजबूत होगी। "जब कोई चुनाव लड़ता है, तो उसकी जन्म कुंडली सार्वजनिक हो जाती है। लोग खुद-ब-खुद उसकी संपत्तियों, मुकदमों और राजनीतिक गतिविधियों की जांच करने लगते हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ती है और भ्रष्टाचार कम होता है।"

2024 से 2047: मजबूत भारत की दिशा में

भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र- एक चुनाव भारत के लिए स्पीड ब्रेकर हटाने जैसा है। उन्होंने कहा कि यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। "हम सभी को इस जन अभियान को आगे बढ़ाना होगा। यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो प्रशासन और व्यापार दोनों को अधिक समय मिलेगा। इससे देश में विकास की गति तेज होगी और आर्थिक संसाधनों का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा।"एक ही समय पर सभी चुनाव होने से करीब ₹4.5 लाख करोड़ की बचत होगी, जो देश की GDP के 1.5% के बराबर है। "एक राष्ट्र, एक चुनाव" से होने वाली बचत से देश में विकास के नए अध्याय लिखे जा सकते हैं।

2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में एक राष्ट्र-एक चुनाव से राह होगी आसान: जावेद मलिक

अखिल भारतीय पसमान्दा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली से समय और संसाधनों की बचत होगी। यह भारत के विकास के लिए आवश्यक है।
बार बार चुनाव होने से जिन संसाधनों और धन का प्रयोग व्यर्थ होता है उन संसाधनों की बचत होगी उन संसाधनों का प्रयोग भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए होगा जिससे विश्व के सामने भारत बहुत जल्द एक विकसित राष्ट्र बनकर उभरेगा, इसलिए चुनाव प्रक्रिया में सुधार की बहुत ज़रूरत है। 

जावेद मलिक ने आगे बताया कि एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा भारत में नयी नहीं है। संविधान को अंगीकार किए जाने के बाद, 1951 से 1967 तक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह परंपरा इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के तीन आम चुनावों के लिए भी जारी रही।

 

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