छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक बार फिर धर्मांतरण की नापाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इस बार तोरवा थाना क्षेत्र के साईं भूमि परिसर में ‘प्रार्थना सभा’ की आड़ में हिंदू धर्म को कमजोर करने की कोशिश की जा रही थी। जैसे ही हिंदू संगठनों को इस साजिश की भनक लगी, वे मौके पर पहुंचे और विरोध जताया। पुलिस को बुलाया गया और दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया।
रविवार (13 अप्रैल 2025) को साईं भूमि में ईसाई समुदाय से जुड़े कुछ लोग कथित रूप से प्रार्थना सभा कर रहे थे। लेकिन असल में वहां हिंदू धर्म मानने वाले लोगों को ‘धर्म बदलने’ के लिए उकसाया जा रहा था। यह कोई साधारण धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक संगठित साजिश लगती है, जिसका मकसद हिंदू समाज को कमजोर करना है।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौके से दो लोगों को पकड़ा है और उनसे पूछताछ की जा रही है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर कब तक धर्मांतरण की यह गिरोहें यूं ही मासूम लोगों को गुमराह करती रहेंगी?
बिलासपुर बना धर्मांतरण का हॉटस्पॉट
यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ महीनों में बिलासपुर जिले के अलग-अलग हिस्सों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। 6 अप्रैल को सरकंडा इलाके के अटल आवास में गुप्त रूप से धर्मांतरण की कोशिशों का भंडाफोड़ हुआ था, जहां दो पादरी समेत करीब छह लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था।
23 मार्च को मोपका क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। वहां प्रार्थना सभा की आड़ में घरों के अंदर ‘धर्म बदलवाने’ का खेल चल रहा था। हिंदू संगठन की शिकायत पर पुलिस ने छापेमारी कर चार लोगों को पकड़ा और उनके पास से संदिग्ध धार्मिक किताबें बरामद कीं।
क्या प्रशासन की नींद अब खुलेगी?
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इन लगातार सामने आ रहे मामलों पर ठोस कार्रवाई करेगा या फिर धर्मांतरण की यह श्रृंखला यूं ही चलती रहेगी? धार्मिक विश्वास के नाम पर लोगों को बहलाना-फुसलाना और फिर धर्म परिवर्तन कराना एक खतरनाक मानसिक हमला है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।