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Utpanna Ekadashi 2024: कब है उत्पन्ना एकादशी? जानें तिथि से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी

उत्पन्ना एकादशी का व्रत साल में दो बार आता है, जो विशेष रूप से श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है।

Deepika Gupta
  • Nov 22 2024 3:21PM

उत्पन्ना एकादशी का व्रत साल में दो बार आता है, जो विशेष रूप से श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी 2024,  26 नवंबर को मनाई जाएगी। इसे 'उत्पत्ति एकादशी' भी कहा जाता है और यह खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तो जानें तिथि से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी।

पूजा विधि

उपवासी रहना: उत्पन्ना एकादशी के दिन, श्रद्धालु दिनभर उपवासी रहते हैं और रात्रि में भगवान विष्णु का पूजन करते हैं।

स्नान एवं व्रत प्रारंभ: सुबह उठकर भक्त नहाते हैं और पवित्र होकर व्रत की शुरुआत करते हैं। फिर वे भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं।

भगवान विष्णु की पूजा: इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर उन्हें तुलसी के पत्तों से अर्पित करते हैं।

भोग अर्पित करना: इस दिन विशेष फल, मिष्ठान और पकवान का भोग भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है।

सच्चे मन से प्रार्थना: भक्त इस दिन भगवान से मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

दीन-हीन की सहायता: इस दिन दीन-हीन और गरीबों की सहायता करना भी पुण्यकारी माना जाता है।

उत्पन्ना एकादशी का व्रत खासतौर पर उन भक्तों के लिए है जो भगवान विष्णु के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करना चाहते हैं और पुण्य की प्राप्ति चाहते हैं।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के उपासकों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा उपवासी रहकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से भक्तों के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। यह एकादशी खासतौर पर उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होती है, जो व्रत करते हैं और भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

उत्पन्ना एकादशी का धार्मिक महत्व

उत्पन्ना एकादशी का एक धार्मिक महत्व भी है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के अलावा भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन उपवासी रहने और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि आती है। यह दिन विशेष रूप से शीत ऋतु में आता है, जो समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

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