दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वह कथित दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ी अनियमितताओं के एक मामले में आरोपी हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। यह मामला 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति से जुड़ी अनियमितताओं का है, जिसमें केजरीवाल आरोपी हैं।
आरोप पत्र पर उठाए गए सवाल
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा, जिसमें कोर्ट ने केजरीवाल के खिलाफ आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
अभियोजन पर दी गई मंजूरी: तुषार मेहता
केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा कि जब यह कथित अपराध हुआ था, तब वह एक लोक सेवक थे और उनके अभियोजन के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई। हालांकि, ईडी के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अभियोजन के लिए मंजूरी मिल चुकी है।
HC ने स्थगन पर रोक लगाने से किया इनकार
पूर्व मुख्यमंत्री ने सुनवाई की तारीख को जल्दी करने की मांग की, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। ईडी ने भी स्थगन आवेदन पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जारी रहेगा मुकदमा
ईडी ने केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन भेजा था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि, कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के दौरान अनियमितताएं हुईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
उपराज्यपाल की सिफारिश पर हुई जांच
दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में नई आबकारी नीति लागू की थी, जिसे सितंबर 2022 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते खत्म कर दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नीति में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए सीबीआई को सिफारिश की थी, जिसके आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया।