सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत से मिलती है सुख-समृद्धि, जानिए डेट, पूजा विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी पर करें गणेश जी की पूजा, व्रत से मिटाएं जीवन के सभी संकट, जानें पूरी पूजा की प्रक्रिया।

Ravi Rohan
  • Nov 16 2024 6:30PM
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है जो जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों से छुटकारा पाना चाहते हैं। इस बार संकष्टी चतुर्थी 19 नवंबर 2024 को मंगलवार को मनाई जाएगी। इस लेख में हम संकष्टी चतुर्थी के व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से इस कारण महत्वपूर्ण है क्योंकि भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकारी देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा करना अनिवार्य होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। साथ ही, यह व्रत हर प्रकार की विपत्तियों और संकटों से मुक्ति दिलाता है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति और संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं। 

इस व्रत को "संकष्टी चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें भक्त दिन भर उपवासी रहते हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन करके व्रत का समापन करते हैं। 

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी की तिथि 18 नवंबर 2024 को शाम 06:55 बजे से शुरू होगी और 19 नवंबर 2024 को शाम 05:28 बजे तक रहेगी। इस दौरान व्रत रखने वाले भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। फिर भगवान गणेश की पूजा करते हैं और दिन भर उपवासी रहते हुए रात को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा विधि का पालन श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए। 

1. स्नान और संकल्प: व्रत करने से पहले भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर व्रत का संकल्प लें।
  
2. गणेश जी की स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। 

3. मंत्र जाप और पूजा: "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें और गणेश जी की पूजा करें। उन्हें फूल, दीप, धूप, रोली, और अक्षत अर्पित करें। 

4. भोग और प्रसाद: भगवान गणेश को मोदक, लड्डू या अन्य मीठे पकवानों का भोग अर्पित करें। 

5. चंद्र दर्शन: रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर पूजा का समापन करें। इसके बाद व्रत खोलें।

उपवास के दौरान सावधानियां
संकष्टी चतुर्थी के उपवास के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए:

- तामसिक आहार जैसे लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से बचें। केवल फलाहार या सात्विक आहार ग्रहण करें।
  
- इस दिन भगवान गणेश की कथाएं सुनें और उनके भजनों का पाठ करें। इससे भक्त को मानसिक शांति मिलती है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

- व्रत के दौरान विशेष रूप से ध्यान रखें कि आपकी श्रद्धा और भक्ति पूरी तरह से भगवान गणेश के प्रति समर्पित हो।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस दिन भगवान गणेश की उपासना से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए ताकि भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली आए।
0 Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार