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Chhath Puja 2024: आज छठ पूजा के तीसरे दिन दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें महत्व और कथा

नहाए-खाए और खरना के बाद इस महा पर्व में आज संध्याकाल में डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा।

Rashmi Singh
  • Nov 7 2024 8:30AM

छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। इसमें छठी मैया यानी षष्ठी देवी और भगवान भास्कर (भगवान सूर्य) की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।

 दिवाली  के 6 दिन बाद छठ मनाया जाता है। इस साल छठ 5 नवंबर 2024 से शुरू होगा, जो शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को समाप्त होगा। लेकिन छठ महाव्रत तब तक अधूरा है जब तक इससे जुड़ी कथा नहीं सुनी या पढ़ी नहीं जाती। ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा की कथा के बारे में-

छठ में तीसरे दिन कैसे होती है पूजा?

 छठ पर्व के तीसरे दिन की पूजा को संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. यह पूजा चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। इस दिन सुबह से ही अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। पूजा के लिए लोग ठेकुआ, चावल के लड्डू जैसे प्रसाद बनाते हैं। छठ पूजा के लिए बांस से बनी टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा का प्रसाद, फल, फूल आदि अच्छे से सजाए जाते हैं। एक सूप में नारियल और पांच तरह के फल रखे जाते हैं। सूर्यास्त से कुछ समय पहले, लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट पर जाते हैं। छठ घाट की ओर जाते समय महिलाएं गीत भी गाती हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और पांच बार परिक्रमा करती हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते हैं। घाट से लौटने के बाद रात में छठ माता के गीत गाए जाते हैं। 

 छठ पूजा का महत्व

 छठ पर्व में सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है। सूर्य को जीवनदाता और छठी माता को संतान की देवी माना जाता है। इस त्योहार के माध्यम से लोग इन देवताओं से अपने परिवार की समृद्धि और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है। छठ का व्रत बहुत कठिन होता है। व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते है। साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते है। इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है। 

 छठ पूजा की कथा 

छठ पूजा की पौराणिक कथा राजा प्रियव्रत से जुड़ी है। कथा के अनुसार राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी थे क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. राजा और उनकी पत्नी दोनों संतान प्राप्ति की कामना से महर्षि कश्यप के पास गये। तब महर्षि ने यज्ञ किया और राजा की पत्नी गर्भवती हो गई। 9 महीने पूरे होने के बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन वह मृत पैदा हुआ, जिसके बाद राजा और उसकी पत्नी पहले से भी अधिक दुखी हो गये। 

दुखी होकर राजा प्रियव्रत ने अपने मृत पुत्र के साथ प्राण त्यागने के लिए श्मशान में ही आत्महत्या करने का प्रयास किया। तभी वहां एक देवी प्रकट हुईं। देवी ने कहा, मैं ब्रह्मा की पुत्री देवसेना हूं और सृष्टि की मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न देवी षष्ठी हूं। 

यदि तुम मेरी आराधना करोगे और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न दूंगी। राजा ने देवी की बात मानकर कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि का व्रत रखा और देवी षष्ठी की पूजा की। जिसके बाद राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। माना जाता है कि इसी समय से छठ पूजा की शुरुआत हुई। 

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय

छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना

छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

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