इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207
जब भी बात आती है अयोध्या और राम मंदिर की तो ऐसे कई कारसेवक, महंत आदि के नाम सामने घूम जाते हैं जिन्होंने इसके लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। ऐसे ही महंत थे जिन्होंने रामजन्मभूमि के लिए पूरे देश में एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था और ये महंत कोई और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु और गोरक्ष पीठाधीश्वर रहे ब्रह्मलीन महान महंत अवैद्यनाथ।
राम जन्मभूमि आंदोलन से पहले हिन्दू समाज विविधता और मत भिन्नता से युक्त था लेकिन जब इस आंदोलन की बयार चली तो विभिन्नताओं से भरे हिंदू समाज के धर्म आचार्यों को महंत अवैद्यनाथ ने एक मंच पर ला दिया था। अगर ये कहा जाए कि गोरखनाथ पीठाधीश्वर एवं ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना को लेकर पूर्व में हुए आंदोलनों और लड़ाई के अग्रदूत रहे तो ये किसी भी रूप में गलत नहीं होगा।
21 जुलाई 1984 को जब राम जन्मभूमि यज्ञ समिति का गठन किया गया तो महंत अवैद्यनाथ को इसका अध्यक्ष चुना गया था। वर्ष 1984 से लेकर 86 के बीच जब पहली बार कोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल का ताला खोला गया था, तब भी तत्कालीन महंत रहे अवैद्यनाथ वहां मौजूद थे। उनके सामने ही विवादित परिसर का ताला खोला गया था, जिसके साक्षी वह भी थे। अवैद्यनाथ की छवि शुरू से ही एक शांतिप्रिय और बेहद सुलझे हुए संत की रही हैं।
उन्होंने समाज में भेदभाव छूत अछूत की भावना को खत्म करने को लेकर भी कई आंदोलन और कार्य किए। अब उन्हीं के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए लोकसेवा के लिए उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह समर्पित हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और 22 जनवरी को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। ऐसे में महंत अवैद्यनाथ भले ही आज हम सबके बीच न हो लेकिन उनके शिष्य गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के देखरेख में मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो रहा है। योगी आदित्यनाथ इस आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में तीसरी पीढ़ी है जो इस सुखद पल के साक्षी बनेंगे।