सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से के जाति जनगणना याचिकाओं पर सुनवाई की है जिसमें उन्होंने बिहार सरकार से ये स्पष्ट तोर पर कहा है की बिहार सरकार जाति जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करें। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से ये सवाल पूछा है कि आखिर वो आँकड़ों को सार्वजनिक किए जाने से किस हद तक रोक सकती है?
और इसके आगे सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कास्ट सेंसस का डेटा पब्लिक किया जाए, ताकि लोगों को उन्हें चुनौती देने का मौका मिल सके। आपको बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने ‘इस मामले पर ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ और ‘एक सोच, एक प्रयास’ जैसे NGO की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये कहा है।
आपको बता दें कि इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 29 जनवरी, 2024 को होगी। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट अब तक सर्वे और इसके आधार पर उठाए जाने वाले कदम को रोकने से इनकार कर चुका है जिसे याचिकाकर्ताओं ने जाति जनगणना को लोगों की प्राइवेसी का उल्लंघन करार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट जहाँ दोनों पक्षों को सुने बिना ही कोई आदेश नहीं दिया तो वहीँ दूसरी ओर केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है कि वो न तो सर्वे के समर्थन में है और न ही विरोध में। केंद्र सरकार ने SC, ST, SEBC और OBC समाज के उत्थान के लिए काम करने के संकल्प को भी दोहराया था।