लव जिहाद का निवाला बनाने के लिए मानसिक तौर पर बच्चियों को तैयार करने वाली फैक्ट्री की. वैसे तो यह फैक्ट्री देश के हर कोने में किसी न किसी रूप में चलाई जा रही है. लेकिन जिस फैक्ट्री का खुलासा आज करने जा रहे है वह मध्य प्रदेश के दमोह में गंगा जमुना स्कूल के नाम पर चल रही है.
इस स्कूल का एक पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें एमपी बोर्ड में 10वीं में अच्छे नंबरों से पास होने वाली छात्रों के फोटो को प्रचारित किया गया है. पोस्टर में 15 छात्राएं और 3 छात्र हैं. 15 छात्राओं में 4 छात्राएं हिंदू हैं और 11 छात्राएं मुस्लिम लेकिन यदि आप पोस्टर को देखेंगे तो आपको सभी छात्राएं मुस्लिम ही नजर आएंगी.
क्योंकि सभी की सभी छात्राएं हिजाब में हैं जिसे स्कूल प्रबंधक मुस्ताक खान स्कार्फ बता रहा है और स्कूल यूनिफॉर्म का हिस्सा भी. मतलब ये कि सभी छात्राओं को हिजाब वाला स्कार्फ पहनना जरूरी है. देखने और सुनने में तो यह पोस्टर और हमारी बातें दोनों ही आपको सामन्य लग रही होगी लेकिन आप जब गौर करेंगे और अपनी सोच से धर्मनिरपेक्षता और भाईचारा वाला चश्मा, जो सिर्फ आपको पहनाया जा रहा है उसे उतारेंगे तो आपकों साफ दिखने लगेगा कि यह स्कार्फ केवल ड्रेस कोड नहीं है.
यहां केवल गणित और विज्ञान की पढ़ाई नहीं होती है बल्कि यहां नबालिग से बालिग होती बच्चियों के कोमल मन में बड़े ही सुक्ष्म तरीके से लव जिहाद का शिकार बनने का बीज भी बो दिया जाता है. यही बीज बच्चियों के दिमाग में फल फुल कर जब बड़ा होता है तो वो कहने लगती है कि मेरा अब्दुल ऐसा नहीं है.
वो आफताब, लुकमान या साहिल खान नहीं हो सकता, वो मेरा कातिल नहीं हो सकता और फिर उसका हाल भी वहीं होता है जो दो दिन पहले साक्षी का हुआ. कुछ महीनों पहले श्रद्धा का हुआ. और कुछ वर्षो पहले नेहा, मानसी, अंकिता, बबली, वर्षा, खुशी, शिवानी, नीतू अंजलि और नीकीता तोमर जैसी दर्जनों बच्चियो का हुआ. इस्तेमाल के बाद किसी को मार कर जमीन में दफन कर दिया गया.
किसी को काट कर उसके टुकड़े चील कौवों और कुत्तों को खिला दिया गया तो किसी को चाकुओं से गोंदने के बाद भी जब काफिरों के प्रति अब्दुल की धृणा पूरी नहीं हुई तो उसने पत्थर से बार-बार वार कर उसके चेहरे को कुचल दिया.
ये गंगा जमुना स्कूल नहीं लव जिहाद का कच्चा माल तैयार करने की फैक्ट्री है. ऐसे स्कूलों में बच्चियों का ब्रेन वॉश कर उसे साक्षी और नीकीता तोमर बनाया जाता है.