जो हैं नाम बाला ओ ही बदनाम हैं .
परिहार मिलने के बाद दर्जन से अधिक कैदी खुले असबान मे हबा लें रहे हैं .हत्या के आऱोप मे कई लोग बिहार जेल नियम कारा हस्तक २०१२ के नियम 481(1)(क )के तहत रिहा हुए हैं .पर बबाल एक्स लोक सभा मेंबर आनंद मोहन पर ही हैं .अब बात दलित समाज से जोड़ कर देखा जा रहा हैं .बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन जिला पदाधिकारी जी किष्णनया की हत्या भीड़ ने कर डाली थी .
आपको बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट मे उमा देवी ने अपने न्याय की अपील डाली हैं जिसका सुनबाई ८ मई को होनी हैं .इस पुरे प्रकरण मैं नीतीश कुमार की भूमिका पर सबाल बनता हैं ?घटना लालू राज्य का था ;नीतीश राज्य मैं जेल हुआ फिर बेल हुआ फ़िर पैरोल हुआ फ़िर परिहार हुआ और अनंत कथा के बाद अधिनियम मे बद्लाब कर के सज़ा काट चूके लोग बाहर निकल चुके हैं .पर हगांमा तो ख़ास लोग पर ही होता हैं .अपने काम से जाने जाते लोग बदनाम भी होते हैं .चुकी दलित ias से जुड़ा मुद्दा हैं तो दलित के वोट को भी देखना हैं ऐसे मैं राजनीत सीधे दिख रही हैं .मतलब के लिए जेल से निकालो भीड़ को सन्देश बताओ फ़िर