इनपुट- शैलेश कुमार शुक्ला, लखनऊ
6 दिसंबर, भारतीय इतिहास की ऐसी तारीख जिसने अयोध्या के भूगोल को बदल दिया। जिस विवादित ढांचे के लिए करीब 3 सौ वर्षों से विवाद चल रहा था। उस ढांचे को साल 1992 में हिंदू संगठनों द्वारा गिरा दिया गया। उस दिन के बाद से हर साल 6 दिसंबर को हिंदू संगठनों द्वारा शौर्य दिवस मनाया जाता रहा है।
उत्तर प्रदेश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जहां पूजा और जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। पहले अयोध्या फिर वाराणसी का ज्ञानवापी और अब मथुरा। तीनों स्थानों पर विवाद कुछ एक जैसा ही रहा है। हिंदू पक्ष के अपने अलग दावे हैं तो मुस्लिम पक्ष के अलग। मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद रामजन्मभूमि जैसा ही है और अभी विवाद न्यायालय में चल रहा है जिसको लेकर कई याचिकाएं कोर्ट में डाली गई हैं और हिंदू पक्ष लगातार सर्वे कराने की मांग कर रहा है ।
इन सबके बीच 6 दिसंबर यानी मंगलवार को शाही ईदगाह में अखिल भारत हिंदू महासभा द्वारा हनुमान चालीसा पढ़ने और लड्डू गोपाल के जलाभिषेक करने का ऐलान किया गया है। हिंदु महासभा के एलान के बाद से मथुरा पुलिस सतर्क है। शहर कोतवाली पुलिस ने हिंदू महासभा के पदाधिकारी को हिरासत में ले लिया है। इसके अलावा अन्य नेताओं को पाबंद भी किया जा रहा है। साथ ही क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए पीस कमेटी भी बनाई गई है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश पाण्डे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा तथा और 144 को तोड़ने के किसी प्रयास को सफल नही होने दिया जाएगा। प्रशासन अब उन लोगों को भी चिन्हित कर रहा है, जो इसे लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाल रहे हैं। साथ ही पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल की भी तैनाती की गई है और सभी संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के ऐलान का हिंदूवादी संगठनों ने समर्थन किया है। हिंदू महासभा के पदाधिकारियों का कहना है कि महासभा छह दिसंबर को शाही मस्जिद ईदगाह में हनुमान चालीसा का पाठ करेगी, इसमें देश भर से बड़ी संख्या में लोग शामिल होने आ रहे हैं। कोई भी बाधा इस बार हमें हनुमान चालीसा का पाठ करने से शाही मस्जिद पर नहीं रोक सकती। अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से मथुरा चलो का आह्वान किया गया है। वहीं दुसरी ओर हिंदू संगठनों के ऐलान के बाद मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों द्वारा 6 दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है।
आइए समझते हैं आखिर पूरा विवाद क्या है -
अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद की तरह ही मथुरा में भी एक जन्मभूमि विवाद है। विवाद 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व से संबंधित है। इसमें से 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास है और बाकी 2.5 एकड़ जमीन ईदगाह मस्जिद के पास है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाकर ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया था। वहीं ईदगाह मस्जिद पक्ष का दावा है कि जो लोग मस्जिद को मंदिर का हिस्सा बता रहे हैं वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। उसका दावा है कि इतिहास में कोई भी ऐसा तथ्य नहीं है जो यह बताता हो कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था या श्री कृष्ण का जन्म उस जगह पर हुआ था जहां पर मौजूदा ईदगाह है। हिंदूपक्ष लगातार यही दावा करता आया है कि मुगल शासक औरंगजेब आलमगीर ने 1669 में श्रीकृष्ण मंदिर को तुड़वा दिया था और ईदगाह का निर्माण कराया था और वहीं पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान कंस कारागार उसी ढांचे के नीचे स्थित है। वहां पर पहले केशवराय मंदिर हुआ करता था।