छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से एक महत्वपूर्ण सकारात्मक खबर सामने आई है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों में संलिप्त रहे 22 नक्सलियों ने हथियार त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में 9 महिलाएं भी शामिल हैं। यह कदम शासन की पुनर्वास नीतियों और पुलिस की लगातार बढ़ती पहुंच का असर माना जा रहा है।
पुलिस की "नियद नेल्ला नार" योजना जिसका उद्देश्य गांवों को नक्सल मुक्त बनाना है। इस योजना ने अंदरूनी इलाकों में खासा प्रभाव डाला है। इसके चलते कई नक्सल प्रभावित क्षेत्र अब विकास की राह पर लौट रहे हैं। यही नहीं, पुलिस द्वारा कैम्पों की स्थापना से भी ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना बढ़ी है।
वहीं, जिला पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश प्रसाद गुप्ता की मौजूदगी में 18 अप्रैल 2025 को इन सभी नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय, सुकमा में बिना हथियार आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक दंपति भी शामिल है, जो वर्षों से संगठन में सक्रिय थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ये सभी पूर्व नक्सली संगठन की क्रूरता, विचारधारा की खोखलापन और स्थानीय आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों से तंग आ चुके थे। बाहरी नेताओं के भेदभावपूर्ण रवैये ने भी इन्हें सोचने पर मजबूर किया, जिसके बाद इन्होंने शांति और समाज में लौटने का रास्ता चुना।
पुनर्वास नीति के तहत मिलेंगे लाभ
छत्तीसगढ़ सरकार की 2025 की नई नक्सल आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पित हर नक्सली को ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि और आवश्यक वस्तुएं दी गई हैं। इसके साथ ही उन्हें समाज में पुनः स्थापित करने हेतु अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।