इनपुट-रोहित बाजपेई, लखनऊ
मुल्लों के मसीहा मुलायम सिंह यादव मुल्लों को अकेला छोड़ कर गोकुल वासी हो गए। हिंदुओं ने अपने फर्ज को समझते हुए मुलायम सिंह की लंबी उम्र के लिए पूजा आराधना की, लेकिन मियाओं के मसीहा होने के बावजूद भी मियाओं ने अपने मसीहा की लंबी उम्र के लिए एक वक्त की नमाज भी अदा नहीं की।
मुलायम सिंह यादव ने अपना जीवन पर्यंत मुल्लों को खुश करने में लगा दिया लेकिन अंत समय उन्हें (जिनके वह हितैसी रहे अकेला छोड़ दिया ) मुलायम को अकेला छोड़ दिया मुल्लों को खुश करने के लिए मुलायम सिंह ने राम भक्तों पर गोलियां तक चलवा दी, जिसमे सैकड़ों राम भक्तों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी और कहा बाबरी मस्जिद को नहीं गिरने दिया जाएगा (क्यूंकि बाबर के वंशज को अपना बनाना था) मुल्लों को साथ लेके चलने का जो उद्देश्य था मुलायम ने वह अपराध भी कर डाला जिसकी कभी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
मुलायम सिंह हमेशा कहते थे कि वह हनुमानजी के भक्त हैं लेकिन हिंदू कभी यह नहीं समझ पाया कि यह हनुमान के भक्त थे की अली के भक्त थे, क्योंकि जीवन भर मुलायम सिंह ने सिर्फ मुसलमानों का हित सोच कर काम किया, लेकिन अंत समय मुसलमानों का साथ मियां मुलायम सिंह ना पा सके। स्वतंत्र भारत में एक और जनरल डायर की मृत्यु हो गई। पता नहीं कितनों की जान गई इस फैसले से कितने नामी गुंडे और मोमिनो को साथ रखकर राजनीति में अनूठा प्रयोग किया, जिसका सिद्ध फार्मूला आज भी और भविष्य में भी भारत माता के घावों में रिश्ता रहेगा। खैर जो भी हुआ वह बेहद दुखद है अंत समय मुलायम सिंह भी श्री हरि चरणों में ही गए, इनका विरोध उन्होंने जीवन पर्यंत किया श्रीहरि उन्हें माफ करें और अपने चरणों में स्थान दे।