तेज़ बुख़ार रहते हुए भी देशभक्ति गान पर नाचने लगती हैं हर्षिता .
आज़ादी के अमृत 75 बी साल पर स्कूल के कार्यकर्म मैं शामिल नहीं होने पर अफसोश था हर्षिता को .नीरस और निराश हो कर हर्षिता ने घर मैं ही लहगा मांबाया और म्यूजिक पर नाचने लगी .अपनी प्रतिभा को निखारती रहती थीं स्कूल मैं भेदभाउ कर मौका नहीं मिलने पर घर मैं ही थिरकती हैं हर्षिता .9 साल की बच्ची को बचपन से थिरकने का हॉबी हैं .अपने माँ से स्टेप सीखती हैं .
अगर प्रतिभा कूट २ कर भरा हो तो उसको दबा कर नहीं रखना चाहिए बल्कि उसको निखारना चहिए .हर्षिता के अंदर प्रतिभा बचपन से ही था जब किसी शादी या उत्सब मैं जाती थीं तो गाने पर थिरकने लगती थी .अपनी कला को बताने मैं हीच कीच नहीं करती हैं और देश भक्ति गानों पर बीमार रहते भी तिरकने फुदकने लगती हैं .यह ऊपर बाला का आसित हैं और बच्चो के अंदर होता हैं जिसे रोका नहीं जा सकता हैं .