भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो इस साल के अपने पहले सैटेलाइट को 14 फरवरी को सुबह 5.59 बजे लॉन्च करने जा रहा है. सैटेलाइट के प्रक्षेपण की उलटी गिनती 25 घंटे 30 मिनट पहले शुरू की जाएगी, जबकि उपग्रह को लॉन्च करने की प्रक्रिया सुबह 4.29 बजे आरंभ होगी.
सैटेलाइट के प्रक्षेपण की पुष्टि खुद इसरो ने की है. इसरो ने कहा, "अब यह आधिकारिक हो चुका है!! पीएसएलवीसी52 14 फरवरी को सुबह 5:59 बजे ईओएस-04 रडार इमेजिंग सैटेलाइट और 2 अन्य छोटे उपग्रहों को 529 किमी दूर सूर्य की कक्षा में ले जाने के लिए तैयार है!" RISAT-1A एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसका इस्तेमाल खास तौर पर निगरानी के लिए किया जाता है. इस तरह से उपग्रहों को धरती से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाता है.
बता दें कि इस सैटेलाइट को PSLV-C52 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि प्रक्षेपण की लगभग सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. EOS-4/RISAT-1A सैटेलाइट वास्तव में एक माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है. हालांकि सैटेलाइट के साथ दो और सैटेलाइट भी अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं- पहला है... इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंट एंड टेक्नोलॉजी के छात्रों द्वारा बनाया गया INSPIREsat-1 और दूसरा है... भारत-भूटान का संयुक्त सैटेलाइट INS-2B.
जानकारी के अनुसार रॉकेट PSLV-C52 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्चपैड पर तैयार किया जा रहा है. इसरो ने 2021 में अपनी आगामी योजनाओं के बारे में बताया था कि वह जुलाई 2021 में PSLV-C52 रॉकेट के जरिए EOS-4/RISAT-1A सैटेलाइट को लॉन्च करेगा.
गौरतलब है कि कोरोना के चलते बहुत बार इसको टाला गया था लेकिन अब इसरो ने इसके प्रक्षेपण की तारीख तय कर दी है. सैटेलाइट के प्रक्षेपण की पुष्टि खुद इसरो ने ट्विटर पर दी है. उसने लिखा, "अब यह आधिकारिक हो चुका है!! पीएसएलवीसी52 14 फरवरी को सुबह 5:59 बजे ईओएस-04 रडार इमेजिंग सैटेलाइट और 2 अन्य छोटे उपग्रहों को 529 किमी दूर सूर्य की कक्षा में ले जाने के लिए तैयार है!"
RISAT-1A एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसका इस्तेमाल खास तौर पर निगरानी के लिए किया जाता है. इस तरह से उपग्रहों को धरती से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाता है.