पहले मोबाइल टावर लगाने पर रेडिएशन से अनेको बीमारियां आना .फ़िर रेसिडेंसियल एरिया मैं ऊचे टावर बनबाना .टेलीकॉम के एसटीडी लोकल पीसीओ को चौपट करना .महीना का 24 - 28 दिन देना .नेटवर्क वीक रखना सीम का मासिक रिचार्ज करबाना .लोंगो की आदत हो गई हैं .
पर सोचिये हर माह 149 - 200 रुपया हर आदमी को देना पर रहा हैं .क्या यह यह उचित हैं जितना का बात उतना का पैसा ;जितना का डाटा यूज़ उतना का नेट पैक लागू होना चाहिए पर कंपनी ऐसा नहीं कर रहीं .लोगों को आंतरिक पैसे लग रहे हैं .
विचार करने की बात यह हैं कि अब लोगों ने विरोध करना छोड़ दिया .मोबाइल के आदत को सिम मैं पैसा डाल कर अपना काम निकाल रहे हैं .दुसरी तरफ़ सीम कंपनी को आम लोगो की कमाई का मलाई मिल रहा हैं .
बिहार के समस्तीपुर जिले मैं शहरी और ग्रामीण एरिया मैं सैकड़ो मोबाइल टाबर चल रहे हैं .जो रेसिडेंसियल एरिया मैं बीमारी दे रही हैं .साथ मैं लोग जितना का रिचार्ज करबा रहे उतना का का यूज़ नहीं ले पारहे कारण मालूम नहीं हैं .कलिंग मैं सारा टॉक टाइम बचा ही रहता हैं .कंपनी को जितना का बात उतना का रेचरी देना चाहिए .पर ऐसा नहीं होता हैं .लोगों को अब मजबूरी मैं नेट का यूज़ नहीं करने के बाद भी पैसा देना पर रहा हैं .
बात ग्रामीण इलाका की हैं जहां लोग मोबाइल को हमेसा पास मैं रख कर अपना समय देते हैं और सिम बाले आम लोगों को उनके पैसा को अपने पाले मैं लाते हैं .