वामपंथियों के अधूरे इतिहास तले दबी चोला शासक के महान राजा की गाथा
महान राजा राजेन्द्र चोला प्रथम ने भारत के महानतम सभ्यता को दक्षिण एशिया तक फैलाया
भारत मे वामपंथियों द्वारा लिखे गए झुठे इतिहास में भारत को हमेशा विखण्डित प्रदर्शित किया जाता रहा है। इन कुंठित इतिहासकारों का कहना है कि भारत कभी अखंड था ही नही। वर्तमान भारत अलग-अलग हिस्से में अलग शासकों के द्वारा राज किया जाता था। उनमे आपस मे कोई समरूपता नहीं थी। इसी प्रकार एक कुंठित मानसिकता वाले बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान ने 'तन्हा जी' फ़िल्म के प्रोमोशन के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि ब्रिटिश के आने से पहले भारत था ही नहीं। इतने हास्यास्पद जानकारी देते वाले खुद को इतिहास का जानकार बताते है। इन सभी बातों का खंडन करने के लिए आज हम चर्चा करेंगे चोला साम्राज्य के शासक 'राजेन्द्र चोला प्रथम' की। चोला साम्राज्य 1012-1044 ईस्वी के बीच दक्षिण भारत मे फला-फुला। राजेन्द्र चोला प्रथम, ने अपने पिता राजा राजा प्रथम का स्थान लिया था। राजेन्द्र चोला प्रथम, चोला शासन के सबसे महान राजा थे। उन्होंने अपनी महान साम्राज्य को लगभग पूरे दक्षिण भारत मे फैलाया और सर्वश्रेष्ठ शासन की स्थापना की। महान राजा राजेन्द्र चोला प्रथम की राजधानी गंगैकोंडचोलपुराम थी, जहां से उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि आज के मलेशिया और इंडोनेशिया तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। भारत के इतिहास से इतने गौरवशाली राजा का जिक्र ढूंढने पर भी नही मिलता।
महान राजा राजेन्द्र चोला प्रथम ने भारत के महानतम सभ्यता को दक्षिण एशिया तक फैलाया। शक्तिशाली राजा राजेन्द्र चोला प्रथम का शासन आज भी इंडोनेशिया के बाली तक नज़र आता है। उनकी शासन काल में भारत अति समृद्ध थी। एक सशक्त राजा के रूप में उन्होंने भारत की सभ्यता का विस्तार करते हुए अखंड भारत की रक्षा की। उनकी सेनाएं कलिंग (वर्तमान उड़ीसा) को पार करते हुए बंगाल और मगध (वर्तमान बिहार) के रास्ते गंगा तक पहुँच जाती है। इस विशेष सफलता के उपलक्ष्य में राजा राजेन्द्र चोला प्रथम को गंगैकोण्ड की उपाधि दी गई थी। इसके स्वर्णिम काल को देखते हुए यह सिद्ध होता है कि भारत ब्रिटिश शासन से पहले भी था। इसके अलावा भारत अखंड था न कि टुकड़ों में बटा हुआ। 2021वीं सदी में भी हम भारत झूठा इतिहास पढ़ते है। ये जानने के बावजूद की किस तरह हमारे स्वर्णिम इतिहास और सभ्यता को शुरुआत से ही नष्ट करने की कोशिश की गई है। आज के पुस्तकों में मात्र क्रूर मुगल आक्रांताओं और ब्रिटिशों का महिमामंडन पढ़ने को मिलता है। इसलिए यह जरूरी है कि भारतीयों को असली और गौरभशाली इतिहास पढ़ाया जाए।