डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लोग नहीं दे रहे पैसे

नोएडा अथॉरिटी डोर टू डोर जो कूड़ा एजेंसी से उठवा रही है उसको इसके पैसे लोगों से नहीं मिल रहे हैं। हालात यह है कि करोड़ों रुपये के मकान सेक्टर से गांव तक खड़े करने वाले लोग 30 से 50 रुपये महीने में कूड़ा कलेक्शन के एजेंसी को नहीं दे रहे हैं।

Anchal Yadav
  • Aug 4 2021 3:58PM

नोएडा अथॉरिटी डोर टू डोर जो कूड़ा एजेंसी से उठवा रही है उसको इसके पैसे लोगों से नहीं मिल रहे हैं। हालात यह है कि करोड़ों रुपये के मकान सेक्टर से गांव तक खड़े करने वाले लोग 30 से 50 रुपये महीने में कूड़ा कलेक्शन के एजेंसी को नहीं दे रहे हैं। 81 गांव में तो यह वसूली शून्य से आगे नहीं बढ़ पाई है। गांव और शहर को मिलाकर कूड़ा कलेक्शन चार्ज की वसूली दो साल में 45% पर ही अटकी है।

नोएडा अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक अथॉरिटी एरिया में 1 लाख कुल कूड़ा कलेक्शन के पॉइंट हैं। इनमें ग्रुप हाउसिंग भी शामिल है। आवासीय में घर से अथॉरिटी की चयनित एजेंसी की गाड़ी जो कूड़ा लेने जाएगी उसके लिए 300 वर्ग मीटर तक 50 रुपये दर निर्धारित है।क्षेत्रफल के हिसाब से कुछ मकानों में 30 और कुछ में 32 रुपये की दर हैं। जीएसटी जोड़ने से 5 से 10 रुपये तक और बढ़ जाते हैं।

हालांकि इतना कम शुल्क भी बहुत से लोग खुश होकर देने के लिए तैयार नहीं हैं। गांव एरिया में तो इसकी शुरुआत ही एजेंसी नहीं कर पा रही है। कुछ दिन पहले नोएडा अथॉरिटी की एजेंसी से हुई बैठक में यह मुद्दा उठा था।नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग में अलग से भी प्रति फ्लैट कूड़ा कलेक्शन का चार्ज तय कर दिया है। यह चार्ज प्रति फ्लैट 30 रुपये महीने का है। इसमें शर्त यह है कि अथॉरिटी की एजेंसी एक जगह से छंटनी कर रखा हुआ कूड़ा उठाएगी।

शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में इंडस्ट्री के प्लॉट से कूड़ा कलेक्शन चार्ज को लेकर इंडस्ट्रियलिस्ट ने आपत्ति दर्ज करवाई हुई है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल असोसिएशन नोएडा के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने बताया कि अथॉरिटी की एजेंसी 500 वर्ग मीटर तक की इंडस्ट्री से 500 रुपये ले रही है। वहीं 114, 120, 70 वर्ग मीटर की इंडस्ट्री पर भी 500 रुपये महीने का चार्ज लगाया जा रहा है।
पूछने पर स्लैब का हवाला दिया जाता है।

इसको लेकर पिछले दिनों अथॉरिटी में अधिकारियों के साथ बैठक कर एमएसएमई ने अपना मांग पत्र भी ओएसडी को सौंपा था। इस पर अथॉरिटी अधिकारियों ने बताया कि इंडस्ट्रियलिस्ट की मांग पर मंथन किया जा रहा है। हालांकि अथॉरिटी ने एजेंसी से जो कॉन्ट्रैक्ट किया है उसके सक्रिय रहने के दौरान बदलाव करना मुश्किल हो रहा है।

0 Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार