विधायक सुरेंद्र मैथानी ने केंद्रीय मन्त्री मा.भूपेन्द्र यादव जी को बताया मामा तालाब है आवश्यक अग्रिम कार्रवाई हेतु
विधानसभा के विधायक सुरेंद्र मैथानी ने केंद्रीय मन्त्री मा.भूपेन्द्र यादव जी को बताया कि हमारे गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सदियों पुराना एक मामा तालाब है।तथा एक लिखित ज्ञापन उक्त तालाब की उपयोगिता एवं पर्यावरण तथा प्रदूषण सहित जन स्वास्थ्य और भू - गर्भ जल को जहरीला बनने से रोकने की दृष्टि से आवश्यक अग्रिम कार्रवाई हेतु “माननीय भूपेंद्र यादव ( पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्री)को दिया।जानने के लिए आगे पढ़े
गोविंद नगर विधानसभा के विधायक सुरेंद्र मैथानी ने केंद्रीय मन्त्री मा.भूपेन्द्र यादव जी को बताया कि हमारे गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सदियों पुराना एक मामा तालाब है।तथा एक लिखित ज्ञापन उक्त तालाब की उपयोगिता एवं पर्यावरण तथा प्रदूषण सहित जन स्वास्थ्य और भू - गर्भ जल को जहरीला बनने से रोकने की दृष्टि से आवश्यक अग्रिम कार्रवाई हेतु “माननीय भूपेंद्र यादव ( पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्री)को दिया।
विधायक ने मन्त्री जी को बताया कि,कानपुर पर्यावरण और प्रदूषण की दृष्टि देश और दुनिया की निगाह में लगातार रहता है। महानगर के गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले आवास विकास क्षेत्र में मामा तालाब के नाम से बहुत प्राचीन तालाब यहां जीणक्षीण की अवस्था में है। उक्त तालाब को स्थानीय आवास विकास विभाग द्वारा अपनी पूर्व की गलतियों को छुपाने की दृष्टि से कागजों के मकड़जाल में भी फसाने का असफल प्रयास किया जा रहा है। यह तालाब लंबे समय से प्राकृतिक जल स्रोत और जल संरक्षण का बड़ा माध्यम रहा है।
विधायक ने मन्त्री जी को कहा कि,जब यहां आवास विकास आया भी नहीं था तब से यह तत्कालीन ग्रामीण क्षेत्र का बहुत बड़ा तालाब हुआ करता था लेकिन पिछले लंबे समय से सरकारी विभागों की उदासीनता के चलते यह तालाब कूड़ा डंपिंग जोन बनकर रह गया है।
विधायक ने मन्त्री जी को बताया कि इस संबंध में विभागीय स्तर पर एव स्थानीय अधिकारियों से वार्ता की गई है। इस तालाब को पुनः उसके स्वरूप में लौटाने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसके बावजूद आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि इस प्राकृतिक जलस्रोत को पुनर्जीवन देने के लिए अपने स्तर से संबंधित को जनहित में निर्देशित करने की कृपा करें।
जिससे एक बड़ी आबादी (01 लाख से भी ज्यादा) लोगों को शुद्ध पेयजल और जल संरक्षण के साथ- साथ बेहतर हरियाली एवं शुद्ध पर्यावरण मिल सके।