तीसरा बच्चा होने पर सरकारी नौकरी की योग्यता समाप्त, ग्वालियर हाई कोर्ट का बड़ा फ़ैसला
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्य अलग-अलग तरीके से अपना निर्णय लेने में लगी हुई है। हाल ही में यूपी में योगी सरकार ने जनसंख्या विस्फोट को काबु में करने के लिए कड़े निर्णय लिए हैं, जिसमें दो से अधिक बच्चे होने पर कोई भी व्यक्ति सरकारी लाभ नहीं ले सकते हैं।
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्य अलग-अलग तरीके से अपना निर्णय लेने में लगी हुई है। हाल ही में यूपी में योगी सरकार ने जनसंख्या विस्फोट को काबु में करने के लिए कड़े निर्णय लिए हैं, जिसमें दो से अधिक बच्चे होने पर कोई भी व्यक्ति सरकारी लाभ नहीं ले सकते हैं।
ग्वालियर हाई कोर्ट ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसमें यह फैसला लिया गया है कि, अगर 2 से अधिक बच्चे होते हैं तो उनको सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ेगा। ग्वालियर हाई कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को 2 से ज़्यादा बच्चे होते हैं तो उनकी सरकारी नौकरी की योग्यता खत्म हो जाएगी। मध्यप्रदेश राज्य के ग्वालियर हाई कोर्ट ने सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी के नौकरी से आयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दायर याचिका में सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी को नौकरी के दौरान तीसरा बच्चा होने पर नौकरी से आयोग्य करार दिया गया था। इस निर्णय के विरुद्ध दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सेवा अधिनियम 1961 के तहत अगर किसी व्यक्ति को तीसरा बच्चा हुआ तो, वह व्यक्ति सरकारी कार्यों के लिए आयोग्य करार दिया जाएगा, इस अधिनियम के अनुसार आप नौकरी के लायक नहीं हैं।
आपको बता दें कि, वर्ष 2009 में मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से आयोजित होने वाली सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी की परीक्षा लक्ष्मण सिंह बघेल ने भी दी थी। परीक्षा देने के बाद वो मेरिट लिस्ट में सातवां स्थान हासिल किए थें। उस वक्त 30 जून 2009 को बघेल के 2 बच्चे थे और उसके बाद बघेल को नवंबर महीने में तीसरा बच्चा हुआ था, जब वह अपनी ज्वाइनिंग कर रहे थें उस वक्त उन्होंने अपने शपथ पत्र में सिर्फ 2 बच्चे की बात को बताया था। लेकिन उसके बाद में मुल निवास प्रमाण पत्र पर और राशन कार्ड पर उन्होंने तीसरे बच्चे के बारे में जानकारी दी थी।
याचिकाकर्ता ने दी थी ये लोग दलील
जब पूरा मामला सामने आया तो विभाग द्वारा इसकी जांच की गई तो बघेल ने बच्चे का जन्म वर्ष 2012 बताया था। उनके द्वारा सही जानकारी नहीं देने के चलते विभाग ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने की अनुशंसा की थी, बघेल ने याचिका दायर करते हुए तर्क दिया कि जब उन्होंने इस नौकरी के लिए अप्लाई किया था तब वह दो बच्चों के पिता थें। परीक्षा देने और सेलेक्शन होने के बाद वह तीसरे बच्चे का बाप बने, इसलिए यह कानून उसके ऊपर लागू नहीं होता और उम्मीदवार की योग्यता उसके आवेदन जमा कराने की तारीख से मापी जाती है। बघेल ने कहा कि नियुक्त के बाद उसे तीसरे बच्चे की प्राप्ति हुई इसलिए उसे विभाग ने गलत तरीके से नौकरी से बाहर किया था।
दरअसल, लक्ष्मण ने उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच पर भी याचिका दायर की थी, लेकिन सिंगल बेंच की ओर से उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया। डबल बेंच के न्यायमूर्ति आनंद पाठक और शील नागु याचिका पर कहा कि इस याचिका पर सिंगल बेंच से अलग दृष्टिकोण होने का खास कारण नहीं दिखता इसलिए याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की राहत मिलने के आसार नहीं है।