"मोहम्मद जुबेर" का एजेंडा है एकदम क्लियर पर हिंदू जैसे प्रतीत होने वाले "बेचारे" प्रतीक सिन्हा हैं "ऊंची" व "बड़ी सोच" वाले.. ALT NEWS का फैक्ट चेक
सामने आएगी वो सच्चाई जिस से ग्रसित हैं अनगिनत प्रतीक सिन्हा व जिसका लाभ उठा रहे अनगिनत मोहम्मद जुबेर..
हिंदू , हिंदुत्व से जुड़ी किसी भी खबर को उसके मूल और सत्य रूप में दिखाने पर अचानक ही भड़क जाने वाला एक तथाकथित धर्म विरोधी कहा जा सकने वाला वामपंथी कथित फैक्ट चेक संस्था आर्ट न्यूज़ मूलतः 2 लोगों द्वारा संचालित की जाती है।
इसमें एक है प्रतीक सिन्हा जिसके नाम से हिंदू होने का भ्रम हो जाता है जबकि दूसरे का नाम है मोहम्मद जुबेर जिनके मुसलमान होने में उनके नाम व काम से कोई शक नहीं.. एक जमात में अगर यही बात कही जाती तो भीड़ से आवाज आती - "बेशक"..
जैसे यति नरसिंहानंद जी व स्वर्गीय कमलेश तिवारी के लिए सामने से आने वाली आवाज में एक स्वर में बोला जाता था - "बेशक"... खैर मुद्दे पर आते हैं.. यद्यपि ALT NEWS स्वयं को वामपंथी विचारधारा के साथ जोड़कर चलने का दिखावा करती है परंतु इस वामपंथी सोच ने धार्मिक रूप में मात्र नाम से हिंदू लगने वाले वाले प्रतीक सिन्हा को विकृत किया है, ऐसा अध्ययन कहते हैं व आम लोगों में अवधारणा है..
यदि थोड़ा सा वामपंथी सोच से हुए मानसिक संक्रमण के बारे में समझने का प्रयास करें तो कुछ समय पहले दिल्ली के जेएनयू में आपत्तिजनक नारे लगे थे जिसमें 2 नाम प्रमुख आए थे।
पहला प्रतीक सिन्हा की ही तरह नाम से हिंदू लगने वाला कन्हैया कुमार और दूसरा मोहम्मद जुबेर की ही तरह सोच से मिलता जुलता लेकिन "बेशक" मुस्लिम मज़हब का उमर खालिद।
उमर खालिद दिन रात इस्लाम, मुसलमान, मस्जिद, कश्मीर , तीन तलाक, सीएए, एनआरसी, फिलिस्तीन, आदि मुद्दों पर सरकार के विरुद्ध मुखरता से आतंकी हरकतों को दिखाते हुए लड़ता रहा।
दूसरे शब्दों में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक पक्का मुसलमान बना रहा और किसी भी हाल में अपने मजहब से जुड़े लोगों की सामूहिक सोच से इंच मात्र समझौता करने के लिए तैयार नहीं हुआ.
वहीं उसी के साथी और नाम से हिंदू लगने वाले कथित वामपन्थी कन्हैया कुमार के विरोध और निशाने पर हमेशा हिंदू और हिंदुत्व के लिए आवाज उठाने वाले लोग ही रहे, ठीक ALT NEWS वाले प्रतीक सिन्हा की तरह ।
कन्हैया कुमार को बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अथाह नफरत बनी रही और कहना गलत नहीं होगा कि वह सँभवतः हिंदू होते हुए भी उमर खालिद के संपर्क और संगत के चलते उमर खालिद से बड़ा हिंदू विरोधी बन गया।
अगर बात दिन - रात हिंदू संगठन व हिंदू विचारधारा वालों के पीछे पड़े रहने वाले ALT न्यूज की हो तो वहां भी लगभग इसी प्रकार के हालात दिखाई देंगे। स्वयं को वामपंथी बताते हुए मोहम्मद जुबेर और प्रतीक सिन्हा मिलकर यह कार्य कर रहे हैं लेकिन जुबेर और प्रतीक सिन्हा की जोड़ी ठीक उमर खालिद और कन्हैया कुमार से कहीं न कहीं वैचारिक रूप से मिलती - जुलती है।
मोहम्मद जुबेर दिन रात उस व्यक्ति की तलाश में रहता है जो उसके हिसाब से उसके मत - मजहब, उसकी अकीदत का विरोधी है। वह एक सच्चा मुसलमान बनकर तमाम जीवंत प्रमाणों के बाद भी अपनी कुटिल चाल से लोगों को गुमराह करके अपने खास वर्ग विशेष के लोगों के ऊपर उठ रही उंगली को मोड़ने की साजिश रचता रहता है।
लेकिन वही नाम से हिंदू लगने वाले प्रतीक सिन्हा का हिंदू और हिंदुत्व से दूर-दूर तक कन्हैया कुमार की तरह कोई वास्ता नहीं है। मोहम्मद जुबेर की संगति में प्रतीक कुमार हिंदुओं के विरोध में मोहम्मद जुबेर से भी आगे निकल गए .. यहां तक कि हिंदुत्व की कब्र खुदेगी जैसे नारे पर उठते विरोध में भी फैक्ट चेक करने लगे और महान खोज कर के सिन्हा जी ने ये निकाला कि हिन्दू की नही बल्कि हिंदुत्व की कब्र खुदने का नारा लगा था..
मुहम्मद जुबेर की संगति के बाद भी अपने मत मज़हब का सम्मान व पालन भी न सीख पाए सिन्हा जी वामपन्थ के झंडाबरदार बने रहे और उन्ही का साथी मोहम्मद जुबेर अपनी अकीदत का पालन करना अपनी शान समझता रहा..
यद्द्पि प्रतीक सिन्हा हिंदुओं का विरोध करना अपनी आधुनिकता के रूप में एहसास है जो आज के तमाम कूल ड्यूड टाइप के हिंदुओं में पाया जाता है.. ये बचपन से घर मे मां - बाप, रिश्तेदारों द्वारा मिलने वाले संस्कारों व शिक्षा पर भी निर्भर करता है..
ऐसे तमाम घर हैं जहां हिन्दू धर्म की बात करने पर ऊंची सोच रखो, बड़ी सोच करो जैसे जुमले बोले जाते हैं और धीरे धीरे वही व्यक्ति प्रतीक सिन्हा या कन्हैया कुमार बन कर बड़ी व ऊंची सोच वाला बन जाता है..
मोहम्मद जुबेर का एजेंडा पूरी तरह से क्लियर है। सोशल मीडिया पर AIMIM, जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे तमाम वर्ग विशेष के ग्रुप बने हैं जिसने दिन भर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा या हिंदू समाज के विरुद्ध झूठ का प्रचार किया जाता है लेकिन शायद ही कभी कोई ऐसा समय आया हो जब मोहम्मद जुबेर ने योगी आदित्यनाथ, बालासाहेब ठाकरे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद आदि के विरुद्ध उड़ाई जा रही किसी अफवाह का खंडन किया हो। दूसरी तरफ हिन्दू लगने वाले प्रतीक सिन्हा तो बड़ी सोच और ऊंची सोच वाली सोच से ग्रसित हैं.
इस जोड़ी को देख कर आराम से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की कन्हैया कुमार और उमर खालिद की जोड़ी का प्रतिबिंब देखा जा सकता है जहां उमर खालिद अपने मजहब को पूरी अकीदत से पालन करता है और कन्हैया कुमार उमर खालिद के ही एजेंडे को उसी के इशारे पर बढ़ाता है।
कन्हैया कुमार को जैसे गलतफहमी है कि उमर खालिद उनकी तरह वामपंथी है लगभग वैसी ही गलतफहमी में संभव है प्रतीक सिन्हा भी रह रहे हो। पर उनको ये याद दिलाना शायद छोटी सोच साबित होगी क्योकि वो बचपन से ऊंचा सोचो वाली मानसिकता से खानदानी रूप से ग्रसित होंगे...
असल में सिर्फ प्रतीक सिन्हा, कन्हैया कुमार ही नहीं, इनके जैसे अनगिनत बस नाम के हिंदू "बड़ा सोचो" या "सोच बड़ी" करो जैसे मोहम्मद जुबेर , उमर खालिद जैसों द्वारा बनाये शब्दों की चपेट में आकर मोहम्मद जुबेर जैसों के ही साथी बन जाया करते हैं .. कभी कभी इसके आर्थिक पहलू भी होते हैं पर सवाल ये है कि धर्म के अपमान पर पैसे की इस दौड़ में अगर सभी शामिल हो जाएं तो बचेगा ही क्या ?
खैर, आगे बढ़ते हैं... मोहम्मद जुबेर जैसों अथवा उमर खालिद जैसों को यह पता है कि कन्हैया कुमार और प्रतीक सिन्हा को उपयोग अथवा दुरुपयोग कहां किसके खिलाफ और किस स्तर तक करना है।
यकीनन उमर खालिद और मोहम्मद जुबेर जैसों की अपने जीवन की उपलब्धि यह जरूर रहेगी कि उन्होंने अपने जीवन काल में अपने मत मजहब अपनी कौम की लड़ाई अधिकतम सामर्थ्य से लड़ी लेकिन इन्ही के संक्रमण और चपेट में उपयोग हो रहे कन्हैया कुमार और प्रतीक सिन्हा जैसे लोग जीवन पर्यंत एक खुशफहमी का शिकार बने रहेंगे कि वो ऊंची व बड़ी सोच वाले हैं..