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Maharashtra: चिमूर में दो हिंदू बेटियों के साथ जिहादियों ने किया दुष्कर्म, रसीद और नसीर शेख को पुलिस ने किया गिरफ्तार

चिमूर में दो हिंदू मासूमों के साथ बर्बरता, आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उबला जनाक्रोश।

Rashmi Singh
  • Apr 17 2025 4:14PM

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के चिमूर कस्बे में दो हिंदू बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म की घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। जैसे ही इस बर्बर घटना की खबर फैली, क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया और सैकड़ों लोग इंसाफ की मांग को लेकर चिमूर पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गए। 

जानकारी के अनुसार, 10 और 12 वर्ष की दो मासूम हिंदू बच्चियों के साथ दो मुस्लिम आरोपियों रसीद रुस्तम शेख और नसीर वजीर शेख ने दो महीनों तक घिनौनी हरकत की। जब यह बात उजागर हुई, तो जनभावनाएं उबाल पर आ गईं। "बेटियों के गुनहगारों को फांसी दो" जैसे नारों के बीच भीड़ ने थाने के पास पथराव किया।

पथराव के दौरान थाने की खिड़की के शीशे टूट गए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस घटना में एक महिला पुलिसकर्मी और एक होमगार्ड घायल हो गए। पुलिस ने बाद में इस हिंसक प्रदर्शन में शामिल लगभग 20 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

हालांकि पुलिस ने आरोपियों को उसी रात गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अदालत में पेश कर एक दिन की पुलिस कस्टडी (पीसीआर) ली गई, फिर भी स्थानीय लोगों का आक्रोश शांत नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि आरोपियों को जनता के हवाले किया जाए और त्वरित न्याय के तहत उन्हें फांसी दी जाए।

घटना के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, वायरल वीडियो और फोटो के आधार पर प्रदर्शनकारियों की पहचान शुरू कर दी है। जिन 20 से ज्यादा नागरिकों पर मामला दर्ज हुआ है, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 2023 की धारा 189(2), 191(2), 195(1), 329(4), 121(1), 130 सहित कई धाराएं लगाई गई हैं। इसके अलावा सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम, 1984 के अंतर्गत भी कार्रवाई की गई है।

न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी

गिरफ्तार आरोपी रसीद शेख और नसीर शेख को बुधवार (17 अप्रैल 2025) को पुनः वरोरा न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए। मामले की जांच की जिम्मेदारी उपविभागीय पुलिस अधिकारी राकेश जाधव को दी गई है।

स्थानीय हिंदू संगठनों और नागरिकों की मांग है कि दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के ज़रिये फांसी की सजा दी जाए, ताकि बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और समाज में भय का वातावरण समाप्त हो।

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