धूम्रपान से नुकसान ही नुकसान, केवल एक दिन तक सीमित नहीं नो स्मोकिंग डे: डॉ. सूर्यकांत

नो स्मोकिंग डे हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य धूम्रपान से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करना है। इस बार यह दिवस 12 मार्च को मनाया जाना है।

Rajat Mishra
  • Mar 11 2025 9:56PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

 
नो स्मोकिंग डे हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य धूम्रपान से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करना है। इस बार यह दिवस 12 मार्च को मनाया जाना है। इस बार इस दिवस की थीम - इस नो स्मोकिंग डे पर अपना जीवन वापस पाएं (Take back your life this No Smoking Day) निर्धारित की गई है। 
 
इस दिन की शुरुआत 1984 में आयरलैंड में हुई थी और बाद में यह यूनाइटेड किंगडम सहित कई अन्य देशों में लोकप्रिय हो गया। यह दिन धूम्रपान की लत को रोकने और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में तंबाकू सेवन के कारण हर साल लगभग 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है, जिसमें से 70 लाख से अधिक लोग सीधे धूम्रपान करने की वजह से और बाकी 12 लाख लोग परोक्ष रूप से तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से प्रभावित होते हैं। भारत में भी तंबाकू सेवन एक गंभीर समस्या है, जहां हर साल लगभग 35 लाख लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं।  
 
इसके तहत लोगों को धूम्रपान के नुकसान के बारे में सचेत करते हुए यह बताया जाएगा कि धूम्रपान छोड़ने से किस तरह आप करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं । सेकंड स्मोकिंग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों और गर्भवती पर पड़ता है, क्योंकि वह शुरुआत से ही धुएं के घेरे में आ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु की वजह सेकंड हैण्ड स्मोकिंग है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि तंबाकू सेवन और धूम्रपान न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
 
धूम्रपान से कई घातक बीमारियां होती हैं, जिनमें प्रमुख रूप से फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD), स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप और सांस संबंधी अन्य समस्याएं शामिल हैं। तंबाकू में मौजूद निकोटिन अत्यधिक नशे की लत उत्पन्न करने वाला तत्व है, जो मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ाकर व्यक्ति को इसकी आदत डाल देता है। यही कारण है कि एक बार धूम्रपान की लत लग जाने के बाद इसे छोड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है। धूम्रपान केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उनके आसपास के लोगों को भी प्रभावित करता है, जिसे 'पैसिव स्मोकिंग' कहा जाता है। पैसिव स्मोकिंग के कारण नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
 
नो स्मोकिंग डे केवल एक दिन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें पूरे साल इस विषय पर सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि धूम्रपान न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे परिवार और समाज के लिए भी हानिकारक है। अगर हम धूम्रपान छोड़ने का निर्णय लेते हैं और इस दिशा में लगातार प्रयास करते हैं, तो हम अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं और कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं। तंबाकू मुक्त जीवन केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद होता है।
 
अतः नो स्मोकिंग डे हमें यह अवसर देता है कि हम इस बुरी आदत को छोड़ने और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के महत्व को समझें। यह न केवल हमें बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ भविष्य देने में मदद कर सकता है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने का सही समय अब है। आप न केवल अपने स्वास्थ्य को सुधारेंगे, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण बनेंगे। नो स्मोकिंग डे का उद्देश्य सिर्फ एक दिन धूम्रपान न करना नहीं, बल्कि इसे हमेशा के लिए छोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाना है।
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