डासना मंदिर पर हमला: महापंचायत में पुलिस का लाठीचार्ज, नेताओं ने की कठोर कार्रवाई की मांग

उच्चाधिकारियों के आश्वासन पर 1 सप्ताह के लिए स्थगित हुई महापंचायत, लोगों पर लाठीचार्ज की विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने बताया निंदनीय, प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया 4 मांगों का पत्र

प्रमोद कुमार
  • Oct 13 2024 5:27PM

गाज़ियाबाद:डासना मंदिर पर हमले के बाद आयोजित पंचायत में शांतिपूर्ण तरीके से जा रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हुए और महिलाओं के कपड़े भी फट गए। पुलिस ने लोगों को मंदिर में जाने से रोका, जिसके बाद महापंचायत का आयोजन मंदिर के बाहर हुआ। महापंचायत की अध्यक्षता आस्था मां ने की, और इसका संचालन वेद नागर ने किया। इस अवसर पर नंदकिशोर गुर्जर, यतेंद्र नागर, मनुपाल बंसल और अन्य नेताओं ने भी अपने विचार रखे।

 शिवसेना हिंदुस्तान के अध्यक्ष पवन गुप्ता, जो पंजाब से सैकड़ों समर्थकों के साथ आए थे, ने कहा कि जिहादियों द्वारा किया गया हमला निंदनीय है। उन्हें उम्मीद थी कि इस पर कठोर कार्रवाई होगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमें एक सप्ताह का समय दिया गया है, जिसके बाद आगे की लड़ाई की योजना बनाई जाएगी। गुप्ता ने इसे भारत की संस्कृति और आस्था पर हमला बताया और कहा कि इसका जवाब दिया जाएगा।

साध्वी आस्था मां ने कहा कि लखनऊ से उच्च अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया है कि जल्द ही कठोर कार्रवाई की जाएगी और मंदिर की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी आस्था पर किए गए हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि वे पूजा करने आए थे, लेकिन पुलिस ने शांतिपूर्ण महापंचायत में जा रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने डासना मंदिर पर पथराव रोकने में असफल रही, लेकिन अब वह महापंचायत में आ रहे भक्तों पर कार्रवाई कर रही है। उन्होंने मां भगवती के भक्तों की तत्काल रिहाई की मांग की।

महापंचायत में निम्नलिखित मांगें रखी गईं:

  1. भारत में मौजूद 10 करोड़ से अधिक रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी मुसलमानों को पहचान कर तुरंत देश से बाहर निकाला जाए।
  2. डासना मंदिर पर हमले के आरोपियों पर एनएसए के तहत कठोरतम कार्रवाई की जाए।
  3. मंदिरों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए देशभर में कठोर कानून बनाए जाएं और दोषियों को फास्टट्रैक कोर्ट में सजा दी जाए।
  4. जिलाधिकारी के साथ बैठक के बाद मामला सुलझ गया था, लेकिन फिर भी उन पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया, जो विपक्ष के इशारे पर कार्रवाई कर सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।

इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है और लोग सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

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