हमारे देश में ऐसे अनेकों महान महापुरुषों और वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया है. अंग्रेजों ने न सिर्फ हमारे देश को लुटा पर हमारे देश की संस्कृति और विज्ञान को भी नष्ट कर दिया. कई लोगों ने उन सभी वैज्ञानिकों की खोज और उनके नाम को छिपाने और सदा के लिए मिटाने की कोशिश की. उन लाखों महान वैज्ञानिकों में से एक थे जगदीश चन्द्र बोस जी.
भारत के इतिहास को विकृत करने वाले लोग अगर जगदीश चन्द्र बोस जी की खोजों को नई पीढ़ी को दिखाते तो आज भारत का इतिहास और भी स्वर्णिम रंग में होता. आज जगदीश चन्द्र बसु जी की पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए, उनकी गाथा को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प दोहराता है.
जगदीश चन्द्र बोस जी का जन्म 30 नवंबर 1858 को बंगाल में ढाका जिले के फरीदपुर में हुआ था, जो की इस समय में बांग्लादेश का हिस्सा है. उनका परिवार एक प्रख्यात बंगाली कायस्थ परिवार था. जगदीश चन्द्र बोस जी की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत उनके गांव के ही एक विद्यालय से हुई थी. उन्होंने ग्यारह वर्ष की आयु तक उस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की. जगदीश चन्द्र बोस जी की शिक्षा एक बांग्ला विद्यालय में प्रारंभ हुई. बता दें कि उनके पिता का मानना था कि अंग्रेजी से पहले जगदीश चन्द्र बसु जी को उनकी मातृभाषा आनी चाहिए. विद्यालयी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद जगदीश चन्द्र बसु जी ने कलकत्ता में सेंट जेवियर स्कूल में प्रवेश लिया.
जगदीश चन्द्र बोस जी की पहले से ही जीव विज्ञान में बहुत रुचि थी. इसी के चलते वो 22 वर्ष की आयु में चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे. लेकिन स्वास्थ खराब रहने की वजह से जगदीश चन्द्र बोस जी ने चिकित्सक बनने का विचार त्याग दिया. इसके बाद वो कैम्ब्रिज के क्राइस्ट महाविद्यालय चले गए. क्राइस्ट महाविद्यालय में भौतिकी के एक विख्यात प्रोफेसर फादर लाफोण्ट ने उन्हें भौतिकशास्त्र के अध्ययन के लिए प्रेरित किया.
जगदीश चन्द्र बोस जी सन् 1885 में वापस भारत आ गए थे. स्वदेश लौटकर उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज में भौतिकी के सहायक प्राध्यापक के रूप में पढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंने सन् 1915 तक प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाया. बता दें कि उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शारन था. इसी कारण उस समय अंग्रेज शिक्षकों की तुलना में भारतीय शिक्षकों को केवल एक तिहाई वेतन दिया जाता था. जगदीश चन्द्र बोस जी ने इस बात का विरोध भी किया था. उन्होंने तीन वर्षों तक बिना वेतन के काम किया.
जानकारी के अनुसार बिना वेतन के काम करने के कारण जगदीश चन्द्र बसु जी की स्तिथि काफी खराब हो गई थी. जगदीश चन्द्र बोस जी के ऊपर काफी कर्जा हो गया था, जिसे चुकाने के लिये उन्हें अपनी पुश्तैनी जमीन भी बेचनी पड़ी थी. लेकिन अंत में जगदीश चन्द्र बोस जी की जीत हुई और उन्हें पूरा वेतन दिया गया. जगदीश चन्द्र बसु जी अपनी कक्षा में वैज्ञानिक प्रदर्शनों का उपयोग करते हुए अपने छात्रों को शिक्षा देते थे. जगदीश चन्द्र बोस जी के कुछ छात्र जैसे सतेन्द्र नाथ बोस एक प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री थे.
विज्ञान के क्षेत्र में अपनी खोज के लिए जगदीश चंद्र बोस को 1917 में नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया था. जगदीश चंद्र बोस जी की मृत्यु 23 नवंबर, 1937 को बंगाल के गिरिडीह नगर में 79 वर्ष की आयु में हुई. आज जगदीश चन्द्र बोस जी की पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए, उनकी गाथा को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प दोहराता है.