14 अगस्त 2021 को अखण्डा भारत संकल्प दिवस के अवसर पर त्रिपुरा प्रदेश के उत्तर त्रिपुरा जिले में अर्धेंदु स्मृति भवन, धर्मनगर में हिंदू जागरण मंच उत्तर त्रिपुरा जिले द्वारा एक अभिनव कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हॉल की आभ्यंतरीन कार्यक्रम के बाद, धर्मनगर शहर भर में एक विशाल मशाल रैली का आयोजन किया गया।
श्री राजीव दोआ, डीआईजी, पानीसागर सेक्टर मुख्यालय, सिमा सुरक्षा बल, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, श्री अक्षदानंद निताई दास महाशय, अध्यक्ष, धर्मनगर इस्कॉन मंदिर, श्री विमान आर्य महाशय, पानीसागर आर्य गुरुकुल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 138वीं व 139वीं बटालियन के द्वितीय कमांडेंट श्री नरेंद्र जी और BSF जवान, धर्मनगर शहर के हिंदू नागरिकों के साथ जिबन त्रिपुरा हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पानीसागर सेक्टर मुख्यालय के डीआईजी श्री राजीव दोआ ने छात्रों के आने-जाने के लिए बस की व्यवस्था की.
कार्यक्रम का मुख्य विषय वैदिक भारत की कृष्टि संस्कृति और अखंड भारत के गौरवशाली इतिहास को तथ्यचित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करना था ताकि आने वाली पीढ़ियां विदेशी आक्रमणकारियों से भारत की इस भूमि की रक्षा कर सकें। लगभग 2500 वर्षों तक विदेशी आक्रांताओ जैसे शोक, हुन मुगल, पठान, पुर्तगाली, डच, फ्रेंच, मोहम्मद-बिन-कासिम, अंग्रेज आदि आक्रमणकारियों ने बार-बार पूरे भारत पर आक्रमण किया और लगभग 24 अलग-अलग राष्ट्र का गठन किया और भारत को खण्डित किया जैसे इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव, ताइवान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान, अजरबैजान और आर्मेनिया। यहां तक कि वर्तमान या निकट भविष्य में भी पुरातत्व विभाग के खनन कार्य के माध्यम से ऐसी बहुत सी जानकारी सामने आई है और सामने आएगी।
“ उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् | वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः ||”
समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत कहते हैं तथा उसकी संतानों (नागरिकों) को भारती कहते हैं।
Source- विष्णु पुराण २.३.१
इसलिए इस भारतीय भूमि के विभाजन को रोकने के लिए आज का यह खुद्र प्रयास । और अंत में 14 अगस्त 1947 की काली रात को धर्म के आधार पर लाखों हिन्दू नरनारिओं की हत्या की गई थी भारत से पाकिस्तान के विभाजन की निंदा करते हुए एक विशाल मशाल रैली आयोजित की गई थी ।
श्री पार्थ सारथी चौधरी और श्री कांति गोपाल देबनाथ ने पूरे कार्यक्रम को ऐतिहासिक जानकारी और समग्र रूप से सुचारू बनाने में विशेष भूमिका निभाई।