भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट ने सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से आज दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में 'जनरल जोरावर सिंह: अप, क्लोज़ एंड पर्सनल' शीर्षक से एक प्रतिष्ठित संगोष्ठी का आयोजन किया। यह आयोजन भारत के महानतम सैन्य नायकों में से एक, जनरल जोरावर सिंह के अद्वितीय जीवन, उनके वीरतापूर्ण सैन्य अभियानों और अमर विरासत को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
सेना प्रमुख ने की कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई
इस विशेष अवसर पर थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संगोष्ठी में सेना के कई दिग्गज पूर्व सैनिक, जम्मू-कश्मीर राइफल्स और लद्दाख स्काउट्स के वर्तमान अधिकारी, उनके परिवारजन और रक्षा क्षेत्र के प्रख्यात विद्वान शामिल हुए।
उजागर हुई जनरल जोरावर सिंह की युद्धक कुशलता
कार्यक्रम में जनरल जोरावर सिंह की रणनीतिक सूझबूझ, दुर्गम क्षेत्रों में युद्ध कौशल, और आधुनिक जम्मू-कश्मीर राज्य के निर्माण व भारतीय सेना में जम्मू-कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट की स्थापना में उनके निर्णायक योगदान को प्रमुखता से रेखांकित किया गया।
महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन
संगोष्ठी का प्रमुख आकर्षण रहा दो ऐतिहासिक पुस्तकों का विमोचन। जनरल द्विवेदी ने 'द वॉरियर गोरखा' (लेखिका: मधुलिका थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा, परम वीर चक्र विजेता की सुपुत्री) और 'ए कश्मीर नाइट एंड द लास्ट 50 इयर्स ऑफ द प्रिंसली स्टेट ऑफ जेएंडके' (लेखक: लेफ्टिनेंट जनरल घनश्याम सिंह कटोच, सेवानिवृत्त) का अनावरण किया। ये पुस्तकें भारतीय सैन्य इतिहास को गहराई से समझने में योगदान करेंगी।
निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान
इस अवसर पर जनरल द्विवेदी ने CLAWS द्वारा आयोजित 'भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और उभरती चुनौतियां' विषय पर आधारित फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ निबंध प्रतियोगिता 2024 के विजेताओं को सम्मानित भी किया।
सैन्य इतिहास के संरक्षण का संकल्प
यह संगोष्ठी न केवल जनरल जोरावर सिंह की वीरगाथा को ससम्मान उजागर करने का माध्यम बनी, बल्कि भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं और सैन्य इतिहास के संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करती है। संगोष्ठी के माध्यम से रक्षा जगत के विद्वानों और सैन्य अधिकारियों के बीच सार्थक संवाद स्थापित हुआ, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।