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सशस्त्र बलों को लगातार विकसित हो रहे बहु-क्षेत्रीय वातावरण में संयुक्त रूप से काम करना चाहिए और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) के 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह के दौरान भारत एवं मित्र देशों के सैन्य अधिकारियों को संबोधित किया।

Deepika Gupta
  • Apr 11 2025 10:34AM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) के 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह के दौरान भारत एवं मित्र देशों के सैन्य अधिकारियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने, कहा आज के निरंतर विकसित हो रहे बहु-आयामी युद्धक्षेत्र में, जहां साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध पारंपरिक सैन्य अभियानों जितने ही प्रभावशाली हो चुके हैं, सशस्त्र बलों को संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए,”  

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की वैश्विक भू-राजनीति तीन प्रमुख संकेतकों द्वारा पुनर्परिभाषित हो रही है – राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति, प्रौद्योगिकी का वैश्विक तूफान, और नवाचार की तेज रफ्तार। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इन प्रवृत्तियों की बारीकियों का गहराई से अध्ययन करें ताकि वे रणनीतिक-सैन्य परिवर्तनों की दिशा में अग्रणी बने रहें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सशस्त्र बलों को एक प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तत्पर बल में बदलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जो बहु-आयामी एकीकृत अभियानों में सक्षम हो।

रक्षा मंत्री ने यह रेखांकित किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियां प्रतिरोध और युद्ध की विधाओं को क्रांतिकारी रूप से बदल रही हैं। उन्होंने युद्धक्षेत्र में तकनीकी नवाचार की शक्ति को “श्वास रोक देने वाला” बताया। उन्होंने कहा, “यूक्रेन-रूस संघर्ष में, ड्रोन एक नई शाखा के रूप में उभरे हैं, यदि इसे एक क्रांतिकारी विज्ञान न भी कहें। सैनिकों और उपकरणों की अधिकांश हानि न तो पारंपरिक तोपखाने से हुई है, न ही बख्तरबंद वाहनों से, बल्कि ड्रोन से हुई है। इसी प्रकार, निम्न कक्षा की अंतरिक्ष क्षमताएं सैन्य खुफिया, निगरानी, स्थिति निर्धारण, लक्ष्य साधन और संचार को बदल रही हैं, जिससे युद्ध एक नए स्तर पर पहुंच रहा है।”

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया अब ग्रे जोन और हाइब्रिड युद्ध के युग में प्रवेश कर चुकी है, जहां साइबर हमले, गलत सूचना अभियान और आर्थिक युद्ध ऐसे उपकरण बन चुके हैं जो बिना गोली चलाए राजनीतिक-सैन्य लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने जोड़ा कि भारत को अपनी सीमाओं पर लगातार खतरे का सामना करना पड़ता है, जिसे उसके पड़ोसी देशों से उत्पन्न आतंकवाद और छद्म युद्ध जैसी चुनौतियाँ और जटिल बना रही हैं।

उन्होंने पश्चिम एशिया में संघर्ष और इंडो-पैसिफिक में भू-राजनीतिक तनावों के सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का भी उल्लेख किया, साथ ही प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन जैसे गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के रूपांतरण को ज़ोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि वे भविष्य के युद्धों के लिए सक्षम और प्रासंगिक बने रहें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘विकसित भारत 2047’ का दृष्टिकोण दो मजबूत स्तंभों पर आधारित है – ‘सुरक्षित भारत’ और ‘सशक्त भारत’।

रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता के माध्यम से सशस्त्र बलों के विकास और आधुनिकीकरण की वकालत की। उन्होंने कहा, “वर्तमान संघर्षों से यह सबक मिलता है कि एक लचीला, स्वदेशी और भविष्य के लिए तैयार रक्षा तकनीकी एवं विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है। हमें कम लागत वाली उच्च तकनीक समाधान विकसित करने होंगे और सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता को बढ़ाना होगा। हमारी सेनाओं को न केवल तकनीकी परिवर्तनों की गति के साथ चलना है, बल्कि उसमें नेतृत्व करना है।”

राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी घटकों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कूटनीतिक, सूचना, सैन्य, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में समन्वित कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रव्यापी दृष्टिकोण’ (Whole of Nation Approach) अपनाना इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है।

प्रधानमंत्री की ‘महा-सागर’ (MAHASAGAR – Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) की परिकल्पना का हवाला देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि एक बेहतर भविष्य और समृद्धि प्राप्त करना हमेशा एक सामूहिक प्रयास रहेगा। उन्होंने कहा, “देशों और लोगों के बीच बढ़ती हुई संपर्कता और आपसी निर्भरता यह संकेत देती है कि इन चुनौतियों का सामना मिलकर करना अधिक प्रभावी होगा। हमारी पारस्परिक रुचियां और समन्वय उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे।”

राजनाथ सिंह ने अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पांच 'A' पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया – Awareness (जागरूकता), Ability (क्षमता), Adaptability (अनुकूलता), Agility (चुस्ती) और Ambassadors (राजदूत)। उन्होंने कहा, “एक योद्धा और राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षक के रूप में आपको अपने परिवेश और उसके प्रभावों के प्रति सजग रहना होगा। आपको भविष्य के नेताओं के लिए आवश्यक कौशल और क्षमता प्राप्त करनी होगी। आपको अनुकूलता और चुस्ती को अपनी विशेषताएं बनानी होंगी। कल का युद्धक्षेत्र ऐसे नेताओं की मांग करेगा जो अप्रत्याशित परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल सकें, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर नवाचार करें। आपको अपनी सशस्त्र सेनाओं के राजदूत बनना होगा – समाज में परिवर्तन के दूत और आदर्श रोल मॉडल बनें।”

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत म्यांमार और थाईलैंड में हाल ही में आए भूकंप पर भारत की एकजुटता और समर्थन व्यक्त करते हुए की। उन्होंने कहा, “भारत ने हमेशा संकट के समय अपने मित्रों के साथ पहले उत्तरदाता के रूप में खड़ा होने का कार्य किया है और म्यांमार की जनता को समय पर राहत पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।”

80वां स्टाफ कोर्स 479 छात्र अधिकारियों का समूह है, जिसमें 26 मित्र देशों के 38 विदेशी अधिकारी और तीन महिला अधिकारी भी शामिल हैं। समारोह से पहले श्री राजनाथ सिंह ने मद्रास रेजीमेंट वॉर मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित की और वीरों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पूर्व सैनिकों से भी मुलाकात की और उनके राष्ट्र के प्रति अमूल्य योगदान को सराहा। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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