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योगी सरकार ने 1978 के संभल दंगों की नई जांच के दिए आदेश, पुलिस विभाग को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

Sambhal Riots: 1978 के सांप्रदायिक दंगों की होगी पुनः जांच, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को नियुक्त किया गया।

Ravi Rohan
  • Jan 9 2025 1:39PM

उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में 1978 में हुए दंगों की पुनः जांच कराने का निर्णय लिया है। सरकार ने पुलिस विभाग को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर रिपोर्ट पेश की जाए। इस जांच की जिम्मेदारी संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को सौंपी गई है, और इसके लिए एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को नियुक्त किया गया है। साथ ही, जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) से यह भी कहा गया है कि वे इस जांच में सहयोग के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति करें।

संभल के एसपी ने की जांच की शुरुआत

संभल के एसपी केके बिश्नोई ने 7 जनवरी को संभल के जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया को एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि यूपी विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने 1978 के दंगों की फिर से जांच की मांग की थी। इस संदर्भ में, उन्हें यूपी के गृह विभाग के उप सचिव और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) से निर्देश प्राप्त हुए हैं। अब इस जांच का नेतृत्व संभल के एसपी करेंगे।

दंगों में हुई हिंसा और आगजनी

1978 में संभल में हुए दंगों ने व्यापक सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया। इस दौरान हिंसा और आगजनी के कई घटनाएं हुईं, जिसके कारण कई हिंदू परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस दौरान कई लोग मारे गए और बचने के लिए लोगों ने शहर छोड़ दिया। दंगों के पीड़ितों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, जिनमें उनके घरों को जलाए जाने और जान का खतरा महसूस करने की बातें शामिल हैं।

मंदिर के पुनः उद्घाटन के बाद दंगों की जांच पर जोर

संभल में दंगों की जांच में नयापन तब आया, जब हाल ही में प्राचीन कार्तिक महादेव मंदिर को 46 साल बाद फिर से खोला गया। यह मंदिर नवंबर 2024 में शाही जामा मस्जिद में हुई हिंसक घटना के बाद खोला गया। इस घटना के बाद मंदिर के पुनः उद्घाटन को लेकर कई लोगों में उम्मीद जागी कि यह सुलह और न्याय की दिशा में एक कदम हो सकता है।

पलायन कर चुके लोगों की प्रतिक्रियाएं

1978 के दंगों के दौरान शहर छोड़ने पर मजबूर हुए लोग अब अपने दर्दनाक अनुभवों को साझा कर रहे हैं। उनका मानना है कि मंदिर का पुनः उद्घाटन न्याय की ओर एक बड़ा कदम है। इस संयुक्त जांच का मुख्य उद्देश्य उन घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डालना और दंगों की हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराना है।

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