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Sambhal Masjid Row: संभल मस्जिद सर्वे मामले में वकील विष्णु शंकर जैन को मिली हत्या की धमकी, जवाब में कहा "डरने वाला नहीं हूं"

संभल जामा मस्जिद सर्वे के याचिकाकर्ता वकील विष्णु शंकर जैन को मिली जान से मारने की धमकी।

Ravi Rohan
  • Nov 26 2024 4:24PM

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में प्राचीन श्री हरिहर मंदिर के स्थान पर बने शाही जामा मस्जिद में सर्वे के लिए याचिका दायर करने वाले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन को हत्या की धमकी मिली है। धमकी देने वाले व्यक्ति ने खुद को सुप्रीम कोर्ट का वकील बताते हुए उन्हें ‘इलाज’ करने की बात कही। यह धमकी विशेष रूप से उस याचिका से संबंधित है, जिसके आधार पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था।

धमकी देने वाले ने क्या कहा?

धमकी देने वाले व्यक्ति ने कहा कि विष्णु शंकर जैन को जज के रूप में खुदा के समान माना जाना चाहिए, लेकिन वह इसे समझ नहीं सकते हैं। जैन ने इस घटना का जिक्र करते हुए लाइव टीवी पर बताया कि उन्हें लगातार हत्या की धमकियां मिल रही हैं। बावजूद इसके, जैन ने साफ तौर पर कहा कि वे एक वकील हैं और डरने वालों में से नहीं हैं। उनका कहना था कि वह अपना काम करते रहेंगे, और जो भी करना है, वह कर सकते हैं।

जामा मस्जिद का सर्वे और हिंसा

19 नवंबर, 2024 को संभल के विवादित जामा मस्जिद में सर्वे किया गया था, जिसके बाद 23 नवंबर को फिर से सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुलिस पर पथराव किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, इस हिंसा के दौरान वकील विष्णु शंकर जैन सुरक्षित रहे और कोई चोट नहीं आई।

विष्णु शंकर जैन को मिली धमकी ने एक गंभीर मुद्दे को जन्म दिया है, जो जामा मस्जिद से जुड़े विवादों और उस पर होने वाली कानूनी कार्यवाहियों से संबंधित है। जैन का दृढ़ संकल्प यह दर्शाता है कि वह अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे, भले ही उन्हें धमकियों का सामना करना पड़े।

क्या हुआ था संभल में?

रविवार 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी, जिसके बाद चार लोगों की मौत हो गई। हिंसा का मुख्य कारण एक जिला अदालत में दायर याचिका है, जिसमें यह दावा किया गया है कि संभल की जामा मस्जिद को बाबर ने एक मंदिर को तोड़कर बनवाया था। इस याचिका के बाद अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया, जो विवाद का कारण बना और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

अदालत के आदेश पर हंगामा

19 नवंबर को जिला अदालत ने आदेश दिया कि जामा मस्जिद का सर्वे कराया जाए, जिसमें यह दावा किया गया कि मस्जिद असल में हरिहर मंदिर की जगह पर बनी थी। इस आदेश के बाद 19 नवंबर की शाम को सर्वे की शुरुआत हुई, लेकिन काम में रुकावट आई और सर्वे अधूरा रह गया। इसके बाद 24 नवंबर को फिर से सर्वे का आदेश दिया गया। जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, तो वहां सैकड़ों लोग जमा हो गए और विवाद शुरू हो गया। सर्वे के दौरान फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की बात भी सामने आई, जिससे और तनाव बढ़ा। इसके बाद हिंसा भड़क उठी और चार लोगों की मौत हो गई।

क्या था हिंसा का कारण?

प्रशासन के अनुसार, सर्वे का काम जारी था, लेकिन कुछ लोगों ने स्थिति को उकसाया। अफवाहें फैलाई गईं कि मस्जिद के अंदर खुदाई की जा रही है, जिससे भीड़ उत्तेजित हो गई और पथराव करने लगी। पुलिस का कहना है कि उसने गोलीबारी नहीं की, लेकिन जो गोलियां चलीं, वे रबर की गोलियां थीं। चार लोगों की मौत देसी कट्टे से चलाई गई गोलियों से हुई, जो हिंसा में शामिल लोगों द्वारा चलाई गई थीं।

हिंदू पक्ष का दावा

 हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि संभल की जामा मस्जिद को एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। उनका कहना है कि यह मंदिर भगवान विष्णु के कल्कि अवतार को समर्पित था और इसे बाबर ने ध्वस्त किया। इस दावे को समर्थन देने के लिए उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट और कुछ इतिहासकारों के उद्धरण दिए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हरिहर मंदिर पर कब्जा करने के कारण ही यह मामला अदालत में दायर किया गया है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन के बेटे विष्णु शंकर जैन ने दायर किया था।

'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' क्या है?

संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के आदेश से मुस्लिम पक्ष में कई सवाल उठ रहे हैं। सांसद जियाउर रहमान बर्क ने इस मामले में कहा है कि बाहरी लोग याचिका दायर कर रहे हैं और संभल का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का भी उल्लेख किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि 1947 के बाद जो भी धार्मिक स्थल थे, वे उसी स्थिति में बने रहेंगे, जैसे वे थे। यह एक्ट 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय लागू हुआ था, और इसका उद्देश्य धार्मिक स्थल से जुड़े विवादों को रोकना था।

संभल हिंसा ने न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि यह एक गंभीर सांप्रदायिक विवाद का कारण भी बन गया है। जामा मस्जिद पर विवाद और इसके सर्वे को लेकर जारी स्थिति ने तनाव बढ़ा दिया है। यह मामला केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी संवेदनशील बन चुका है।

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