इनपुट- सुमित श्रीवास्तव, लखनऊ
लखनऊ के सरसवां अर्जुनगंज में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सत्र जो 6 नवम्बर से 12 नवम्बर के मध्य प्रतिदिन शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक आयोजित हुआ है। कथा वक्ता के रूप में स्वामी राम शंकर महाराज उर्फ डिजिटल बाबा बैजनाथ धाम हिमाचल प्रदेश से पधार कर अपने मुखारबिंदु से सरसवां अर्जुनगंज स्थित राम बिलाश सिंह के निवास स्थान पर अत्यंत सुंदर सारगर्भित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का संगीतमय रसपान करा रहे है।
आज कथा के अन्तिम दिवस स्वामी राम शंकर महाराज ने नौ योगीश्वर का संवाद सुनाते हुये बताया कि आज हम असत् पदार्थो के साथ अहंकार और ममता से युक्त होकर अपनी चित्त वृत्ति में शांति को खो चुके है हमारी बहिर्मुखता इतनी अधिक हो गयीं है कि हम स्वयं को अनुभव ही नही कर पा रहे। ध्यान रहे जब तक हम आत्मानुभूति नही करेगे स्वयं को ठीक ठीक अनुभव नही करेगे आत्मज्ञान से जब तक सम्पन्न नही होंगे तबतक जीवन का तनाव का असर कम नही होगा। हंमे चाहिए कि प्रतिक्षण अपनी एक एक वृत्ति इच्छा ईश्वर प्राप्ति की भावना से युक्त कर ले जो भी कर्म करे उसका उद्देश्य ईश्वर की प्रसन्नता चाहे , परमात्मा हम सब से तनिक भी दूर नहीं है वह तो अंतर्यामी बन कर हम सबके हृदय में हर समय विराजमान रहते हैं।
आगे उन्होंने कहा कि भक्त को चाहिये कि भगवान के भक्त सन्त जन से नैकट्य बना कर रहे खूब सत्संग हरि नाम सुमिरन करे क्योकि हरिनाम सुमिरन ही एक मात्र ऐसा साधन है जिसके प्रभाव से चित्त की उद्विग्नता समाप्त हो पाती हैं।संसार सागर पार होने के लिये संतपुरुष जहाज के सदृश्य होते है अतः सन्त संग में अपने जीवन को लागये रखना जीवन को सार्थक करता हैं। अवधूत उपाख्यान की कथा सुनाते हुये स्वामी राम शंकर महाराज ने बताया कि ब्रह्मवेत्ता दत्तात्रेय ने अपने जीवन मे 24 गुरु बनाये जिससे जो सिख मिला अपने जीवन मे धारण करते रहे फलस्वरूप वह जीवन रहते ही संसार के प्रपंच से मुक्त हो गये।
इस श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य आयोजक चौहान परिवार के राम बिलास सिंह, विपुल सिंह चौहान, अमन सिंह चौहान, अंकित सिंह चौहान, अतर सिंह, सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कथा वक्ता स्वामी राम शंकर महाराज एवं उपस्थित श्रोतागणो का अभिनंदन करते हुऐ धन्यवाद ज्ञापित किया। कथा के उपरांत 13 नवम्बर को शाम 6 बजे से प्रभु की इच्छा तक विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया है जिसमे समस्त कथा रसिक श्रोता एवं क्षेत्रवासी आमंत्रित हैं।