गोलियां के छलनी होने के बाद भी अपनी पोजीशन से टस से मस ना होने के बाद २ आतंकियों को अपनी बन्दूक का निशाना बनाने वाले और घायल होने के बाद तीसरे आतंकी को पटक कर खत्म कर देने के बाद कुल 4 इस्लामिक आतंकियों को अकेले मौत की नींद सुला कर भारत माता की गोद में सदा के लिए चिरनिद्रा में विलीन हो गए.
उन्ही अमर बलिदानी हंगपन दादा को आज उनके बलिदान दिवस पर सुदर्शन न्यूज की तरफ से अश्रुपूरित और भावभीनी श्रद्धांजलि वो चरण वंदना. वो 26 मई 2016 का दिन था जब जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के नौगाम सेक्टर के शम्शाबाड़ी में सेना एक तमाम ठिकानों का आपस में सम्पर्क कुछ कारणों से टूट गया था.
4 कुख्यात आतंकियों के भागने की सूचना पर हंगपन दादा को उन्हें पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया था. हंगपन दादा अपनी जांबाज़ टुकड़ी के साथ सीमा रेखा पर शमशरी छोटी के पर बेहद तेजी से दुम दबा कर भाग रहे आतंकियों का पीछा कर रहे थे.
उस युद्ध क्षेत्र की ऊंचाई थी 1300 फ़ीट और इस जांबाज़ ने आखिर में उन्हें खोज ही निकाला और घेर लिया. मौत को सामने देख कर आतकियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी और सुरक्षित पोजीशन ले ली. ऐसे हालत में हवलदार हंगपन दादा ने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व खुद करने का फैसला किया और पत्थरों की आड़ में छुपकर अकेले आतंकियों के बिलकुल निकट पहुंच गए थे.
पास पहुंच कर उन्होंने २ आतंकियों को तत्काल अपनी बंदूक का निशाना बनाया और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया. इस मुठभेड़ में उन्हें भी गोलियां लगी थी पर वो तीसरे भाग रहे आतंकियों को घायल होते हुए भी दौड़ा लिए और उसको अपनी बलिष्ठ भुजाओं में जकड़ पर पटक दिया.
कुछ देर की मुठभेड़ के बाद हंगपन दादा ने उसको भी उसके अंजाम तक पंहुचा दिया. इस बीच उनकी टुकड़ी ने चौथे आतंकी को भी घेर कर मारा गिराया. इस मुठभेड़ में बुरी तरह घायल हंगपन दादा को सेना के अस्पताल में ले जाया गया जहाँ बुरी तरह घायल और अत्यधिक खून निकल जाने के बाद अगले दिन अर्थात आज 27 मई को अरुणांचल के बोरदुनिया गाँव में 2 अक्टूबर 1979 को जन्मा ये महावीर सदा सदा के लिए भारत माता की गोद में सो गया.
इनके बलिदान का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने 15 अगस्त 2016 को इनके परिजनों को सेना के वीरता मेडल अशोक चक्र से सम्मानित किया. सुदर्शन न्यूज आज इन महावीर हंगपन दादा जी के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है.