Fact Check- क्या गुजरात दंगों के दौरान अटल जी ने मोदी को दी थी "राजधर्म" निभाने की सलाह ? या वामपंथी मीडिया ने दुष्प्रचारित किया अधूरा सत्य ?
बेहद जरूरी विषय जो आज भी अक्सर आ जाया करता है चर्चा में .
आज हिंदुस्थान भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनको अश्रुपूरित नमन कर रहा है और उनको भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है. जिस भाजपा को अटल जी ने अपनी मेहनत परिश्रम से सींचा वो भाजपा आज देश की सत्ता पर बेहद मजबूती से काबिज है. जिस भाजपा को अटल, अडवाणी, जोशी, जसवंत सिंह ने उर्वर बनाया था उसमें आज मोदी - शाह के नेतृत्व में भाजपा की वो फसल लहलहा रही है जिसकी कल्पना अटल जी ने की थी. पूरे देश में कमल खिलाने का अटल जी का जो सपना था उसे नरेंद्र मोदी जी ने पूरा कर दिया है. जिन मोदी जी को अटल जी ने राजनीति का ककहरा सिखाया वो नरेंद्र मोदी जी अटल जी विरासत को पूरी कुशलता के साथ संभाल रहे हैं.
जब भी पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की चर्चा होती है तो अनायास की गुजरात दंगों का जिक्र किया जाने लगता है. मीडिया के वामपंथी वर्ग व तथाकथित स्वघोषित सेक्युलर नेताओं की तरफ से कहा जाता रहा है कि गुजरात दंगों के वक्त तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी से नाखुश थे तथा मोदी जी को “राजधर्म” निभाने की नसीहत दी थी. जब सुदर्शन न्यूज़ ने इस कुप्रचार की ठीक से पड़ताल की तब ये सामने आया कि वामपंथी मीडिया द्वारा मोदी जी को अटल जी की तरफ से राजधर्म निभाने नसीहत वाली बात उसी तरह से अधूरी बताई गयी है जिस तरह से गांधी जी ने गीता के श्लोक “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:” को पूरा बताने के बजाय “अहिंसा परमो धर्मः” तक सीमित कर दिया. अतः इस सच को सामने रखने की जिम्मेदारी सुदर्शन न्यूज़ ने जरूरी समझी जो कुछ इस प्रकार से है..
जिस तरह गांधी जी ने गीता के इस श्लोक के आधे भाग की व्याख्या देश दुनिया को समझाई ठीक उसी तरह से मीडिया ने अटल जी की मोदी को राजधर्म की बात की आधी सच्चाई दिखाई. दरअसल जब ये वाकया हुआ था उस समय प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमन्त्री अटल जी के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे. पत्रकार से अटल जी से पूंछा था कि चीफ मिनिस्टर के लिए आपका क्या सन्देश है तो अटल जी ने कहा था कि मेरा चीफ मिनिस्टर के लिए एक ही सन्देश है कि वह राजधर्म का पालन करें राजधर्म.
अटल जी ने कहा था कि ये शब्द काफी सार्थक है, में उसी का पालन कर रहा हूं, पालन करने का प्रयास कर रहा हूं. राजा के लिए शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता. न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर, न सम्प्रदाय के आधार पर. इसके बाद नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि “हम भी वही कर रहे हैं साहब”.. इसके बाद अटल जी ने कहा था कि “मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं.” अटल जी ने साफ़ कहा था कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं. अफ़सोस की बात ये है कि इस सबके बाद भी मीडिया व कथित लिबरल वर्ग अटल जी के बयान का दुष्प्रचार करता रहा और आज भी करता है जबकि सच ये है कि अटल जी ने कहा था कि एक मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करना चाहिए और नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं. अटल जी और मोदी जी के उस समय के मीडिया से संवाद के कुछ शब्दों को जिस प्रकार से कुप्रसारित किया गया और बाकी शब्दों को छुपाया गया वह ठीक उसी वामपंथ रचित इतिहास की तरह है जिसे आज तक सुधारने के लिए सरकार व जनता मिलकर प्रयास कर रही है।