भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने 06 मार्च 2025 को तेज़ा फील्ड फायरिंग रेंज में एक सप्ताह लंबी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) फील्ड फायरिंग अभ्यास सफलतापूर्वक आयोजित किया।
इस अभ्यास में पैदल सेना और यांत्रिक पैदल सेना की इकाइयाँ शामिल थीं, जिन्होंने उच्च सहकार्य, सामरिक समन्वय और युद्धक्षेत्र दक्षता का प्रदर्शन किया। कई ATGMs को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, जो सिमुलेटेड युद्ध परिस्थितियों में सटीक निशाना साधने में सक्षम रहे।
युद्धक्षेत्र की वास्तविकता और युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए, लक्ष्य दिन और रात दोनों समय में विस्तृत रेंज पर साधे गए, जिससे युद्धक्षेत्र की परिस्थितियों की नकल की गई। इस कठोर प्रशिक्षण ने मिसाइल प्रणालियों, क्रू दक्षता और विभिन्न परिचालन परिदृश्यों में अनुकूलता का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित किया। यांत्रिक पैदल सेना ने अपनी प्रबल आग्नेयशक्ति का प्रदर्शन करते हुए पैदल सेना लड़ाकू वाहनों (ICV) से ATGMs लॉन्च किए।
यह बड़े पैमाने पर आयोजित फील्ड फायरिंग अभ्यास भारतीय सेना के निरंतर आधुनिकीकरण प्रयासों को रेखांकित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सेना भविष्य के लिए तैयार, युद्ध क्षमता से लैस और सुरक्षा चुनौतियों के प्रति सतर्क बनी रहे। जैसे-जैसे सेना "परिवर्तन के दशक" को अपनाती है, ऐसे अभ्यास तकनीकी एकीकरण, सटीक युद्धकला और संयुक्त बल क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ताकि भविष्य के लिए एक मजबूत और अनुकूलनशील सेना सुनिश्चित की जा सके।
अभ्यास के प्रमुख बिंदु
✅ ATGMs का उपयोग कर बख्तरबंद लक्ष्यों की सटीक तवज्जो
✅ सिमुलेटेड युद्धक्षेत्र परिस्थितियों में दिन और रात में विस्तृत रेंज पर लक्ष्यों का साधना
✅ युद्ध के लिए समन्वित रणनीति में पैदल सेना और यांत्रिक पैदल सेना का एकीकृत समन्वय
✅ सटीक हमले की क्षमता और उच्च युद्धक दक्षता का प्रदर्शन
✅ भारतीय सेना के 'परिवर्तन के दशक' के दृष्टिकोण के अनुरूप